इजरायल की प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (डिजाइन फोटो)
Israel-Iran Tension: जून में इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों तक चले भीषण संग्राम को लेकर आए दिन चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स में एक ऐसा सनसनीखेज खुलासा हुआ है जिसने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया है। जिसके बाद दबी हुई चिंगारी के एक बार फिर शोला बनने के आसार हैं।
सूत्रों के अनुसार, इजरायली मिसाइलों का निशाना तेहरान में आयोजित ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक गुप्त बैठक थी, जिसमें राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान, संसद के अध्यक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश मौजूद थे। हमले में राष्ट्रपति के पैर में मामूली चोट आई, जबकि अन्य शीर्ष अधिकारी आपातकालीन रास्तों से सुरक्षित निकलने में सफल रहे।
फार्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इजरायली हमले में छह मिसाइलों या बमों का इस्तेमाल किया गया और हमलावरों ने मीटिंग हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारों को अवरुद्ध करने की कोशिश की। हालाँकि, अधिकारी सुरक्षा सुरंगों के ज़रिए अपनी जान बचाने में कामयाब रहे।
इस हमले को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इतनी संवेदनशील और गोपनीय बैठक की जानकारी इजरायल को कैसे मिली? क्या ईरानी सत्ता के गलियारों में कोई जासूस है जो इजरायल को खुफिया जानकारी दे रहा है? ईरान की खुफिया एजेंसियों ने आंतरिक जाँच शुरू कर दी है।
अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन को दिए एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने हमले की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। इस पूरी घटना पर इजरायल की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इस रहस्य से पर्दा उठने के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि बेंजामिन नेतन्याहू का प्लान ख़तरनाक था। इस लिहाज से देखा जाए तो यह नया खुलासा मध्य-पूर्व में तनाव की आग को और हवा दे सकता है, और दोनों देशों की बीच जंग फिर शुरू हो सकती है!
इस बीच, एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसी ऑपरेशन के दौरान एक इजराइली F-15 लड़ाकू विमान तकनीकी खराबी के कारण ईरान की सीमा में फँस गया था। जैसे ही विमान ईरानी सीमा में दाखिल हुआ, उसके ईंधन टैंक में खराबी आ गई, जिसके कारण उसे उतरना पड़ा।
इजरायली चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, पायलट ने तुरंत स्थिति की सूचना दी और मिशन कंट्रोल से मदद माँगी। उस समय आस-पास कोई ईंधन भरने वाला विमान नहीं था, इसलिए आपातकालीन योजना के अनुसार एक वैकल्पिक टैंकर भेजा गया। जिसके बाद मिशन पूरा हो गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर समय पर मदद नहीं पहुँचती, तो पायलट को पड़ोसी देश में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ सकती थी।
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जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। इन घटनाओं ने यह ज़रूर संकेत दिया है कि युद्ध भले ही थम गया हो, लेकिन उसके प्रभाव और षड्यंत्र अभी भी जारी हैं। यह खुलासे ईरान और इजरायल के बीच हुए सीजफायर को फिर से खूनी संघर्ष में तब्दील कर सकते हैं।