सांकेतिक तस्वीर, (सो. सोशल मीडिया)
इजरायल और ईरान के बीच पिछले सात दिनों से चल रहे संघर्ष के दौरान, इजरायल ईरान के कई परमाणु स्थलों पर हमले कर रहा है। साथ ही, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका भी जल्द ही तेहरान के दक्षिण में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र में मौजूद फोर्डो न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट (परमाणु संवर्धन संयंत्र) को नष्ट करने के लिए अपने शक्तिशाली बंकर-भेदी बम GBU-57 का उपयोग कर सकता है।
इस स्थिति में एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमले से चेर्नोबिल जैसी भयावह परमाणु त्रासदी हो सकती है, जैसी 39 साल पहले सोवियत रूस में देखने को मिली थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, इजरायल ने भले ही अपने हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाया हो, लेकिन ये हमले उन परमाणु संयंत्रों पर केंद्रित थे जहां यूरेनियम को परिष्कृत (एनरिच) किया जाता है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि इन साइटों को नुकसान पहुंचने की स्थिति में चेरनोबिल या फुकुशिमा जैसी गंभीर परमाणु दुर्घटना की आशंका नहीं है। इसकी वजह यह है कि जिन परमाणु संयंत्रों में केवल यूरेनियम को समृद्ध (एनरिच) किया जाता है, वहां कोई सक्रिय परमाणु प्रतिक्रिया नहीं होती।
न्यूक्लियर पावर प्लांट के रिएक्टर में यूरेनियम के परमाणुओं को नियंत्रित तरीके से टुकड़ों में तोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिसका उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, इससे कुछ रेडियोएक्टिव अपशिष्ट पदार्थ भी पैदा होते हैं, जो मूल यूरेनियम ईंधन से भी अधिक रेडियोधर्मी हो सकते हैं। वहीं, एनरिचमेंट प्लांट (संवर्धन संयंत्र) में केवल यूरेनियम ईंधन को संसाधित किया जाता है, न कि कोई परमाणु विखंडन प्रतिक्रिया। यहां ईंधन को परिष्कृत करके उसे रिएक्टर में उपयोग के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन कोई नाभिकीय अभिक्रिया न हीं होती।
न्यूक्लियर मटेरियल के विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर किसी यूरेनियम संवर्धन संयंत्र (एनरिचमेंट प्लांट) पर हमला होता है, तो उस संयंत्र में शुद्ध किया जा रहा यूरेनियम बाहर निकल जाता है और संभवतः वातावरण में फैल जाता है। हालांकि, इसके कारण कोई परमाणु विस्फोट नहीं होगा। ऐसे में खतरे सीमित रहेंगे और रेडियोधर्मी प्रभाव केवल उस सुविधा के आसपास के छोटे इलाके तक ही सीमित रहेगा।