रान में दवाइयों का संकट, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Iran News Hindi: ईरान इस समय दवा आपूर्ति संकट का सामना कर रहा है। दवा उद्योग के विशेषज्ञ मोजतबा सरकंदी ने एतेमाद अखबार को बताया कि मार्च तक देश में दवाओं की उत्पादन प्रक्रिया में रुकावट और गंभीर कमी हो सकती है। इसका मुख्य कारण है संयुक्त राष्ट्र द्वारा सितंबर में फिर से लगाए गए प्रतिबंध, जिन्होंने विदेशी मुद्रा तक पहुंच और आपूर्ति श्रृंखला दोनों को प्रभावित किया है।
सरकंदी के अनुसार, ईरान में लगभग 99% दवाएं घरेलू स्तर पर बनाई जाती हैं, लेकिन सक्रिय दवा तत्व (APIs) और जरूरी केमिकल कंपाउंड का आयात मुख्य रूप से चीन और भारत से होता है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने इन आवश्यक सामग्रियों तक पहुंच को मुश्किल बना दिया है। जबकि मानवीय वस्तुओं को छूट दी गई है, बैंकिंग और बीमा पर लगी रोक की वजह से आयातक दवाओं का भुगतान और परिवहन नहीं कर पा रहे हैं।
सरकंदी ने बताया कि सरकार ने इस साल दवाओं और मेडिकल उपकरणों के लिए 3.4 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा आवंटित की थी, लेकिन मौजूदा कमी के कारण इस फंड तक पहुंच पहले ही 10-20 प्रतिशत घट गई है। प्रतिबंधों के बाद शिपिंग और बीमा लागत 30-50 प्रतिशत तक बढ़ गई है, और आयात की अवधि तीन महीने से छह महीने तक लंबी हो गई है। विशेष रूप से कैंसर और बायोटेक दवाओं पर इसका गंभीर असर देखने को मिलेगा। मरीजों को इलाज में देरी का सामना करना पड़ रहा है या फिर उन्हें काले बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। घरेलू निर्माता भी सीमित कच्चे माल के कारण उत्पादन कम कर रहे हैं।
एक अन्य उद्योग अधिकारी ने कहा कि सरकारी कुप्रबंधन ने संकट को और बढ़ाया है। प्रतिबंधों का असर केवल 40 प्रतिशत है; बाकी समस्या देरी से मुद्रा आवंटन, मनमानी कीमत निर्धारण और पारदर्शिता की कमी से उत्पन्न हुई है। मूल्य नियंत्रण के कारण निर्माता बढ़ती लागत के बावजूद नुकसान झेल रहे हैं।
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स्वास्थ्य अधिकारियों ने वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने का वादा किया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विशेष भुगतान चैनल नहीं बनाए गए, तो दवाओं की कमी और गंभीर होगी। यूएन के प्रतिबंध ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए हैं और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहे हैं।