इजरायल पर अटैक के लिए तेहरान ने ढूंढा नया प्रॉक्सी, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Middle East Crisis: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच ईरान और इजरायल के बीच सियासी और सैन्य खींचतान एक नए दौर में पहुंच गई है। ताजा रिपोर्टों के अनुसार, ईरान अब इराक की शिया मिलिशियाओं को अपने नए प्रॉक्सी के रूप में तैयार कर रहा है। यह वही रणनीति है जिसे ईरान ने पहले लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती और गाज़ा में हमास के जरिए अपनाई थी।
इजरायल नेशनल रेडियो और The Jerusalem Post की रिपोर्टों के मुताबिक, ईरान की कुद्स फोर्स (IRGC-QF) सीधे तौर पर इराकी मिलिशियाओं को संचालित कर रही है। पिछले कुछ महीनों में तेहरान ने इराकी धरती पर अपने प्रभाव को तेजी से बढ़ाया है। इन समूहों को आधुनिक हथियार, मिसाइल और ड्रोन तकनीक दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, भविष्य में अगर पश्चिम एशिया में युद्ध भड़कता है तो यही मिलिशिया इजरायल पर हमले करने के लिए सक्रिय की जा सकती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने इराक की लगभग आधा दर्जन शिया मिलिशिया ब्रिगेडों को ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट देना तेज कर दिया है। इनमें ‘कताइब हिजबुल्लाह’ और असैब अहल अल-हक जैसे समूह शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इनकी सैन्य क्षमता इराकी सेना से भी अधिक मानी जा रही है। हालांकि, ये समूह अमेरिकी और इजरायली हमलों से डरे हुए हैं, लेकिन फिर भी ईरान के निर्देशों पर चलने को तैयार हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और सेना पहले से ही इस बढ़ते खतरे की मॉनिटरिंग कर रही हैं। इजरायल का मानना है कि ईरान इराक में एक ऐसा आतंकी ढांचा खड़ा कर रहा है, जो निर्णायक युद्ध की स्थिति में इजरायल को जमीन और हवा दोनों मोर्चों से निशाना बना सके।
11 नवंबर को होने वाले इराकी संसदीय चुनावों से पहले यह मुद्दा और गर्म हो गया है। अल-मदी अखबार की रिपोर्ट बताती है कि करीब 20 राजनीतिक दल या गठबंधन ऐसे हैं जिनके सैन्य विंग हैं या जो खुले तौर पर ईरान समर्थित हैं। हालांकि प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने कहा है कि इराक की स्थिति लेबनान जैसी नहीं है और कोई ताकत बगदाद को किसी युद्ध में नहीं घसीट सकती।
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लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि ईरान का प्रभाव इराक की राजनीतिक और सैन्य दोनों संरचनाओं में लगातार गहराता जा रहा है। पश्चिम एशिया में ईरान का यह इराक कार्ड आने वाले महीनों में इजरायल के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।