ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन (फोटो- सोशल मीडिया)
तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने देश के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मसूद पेजेशकियन ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ अपने सहयोग को समाप्त करते हुए समझौते के निंबन का आदेश दिया। ईरानी राष्ट्रपति ने यह आदेश अमेरिका की ओर से ईरानी परमाणु ठिकानों पर हुए हवाई हमलों के कुछ दिन बाद दिया है।
राष्ट्रपति पेजेशकियन ने बताया कि यह निर्णय ईरान के परमाणु ठिकानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम संसद द्वारा पारित एक कानून के तहत उठाया गया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग को निलंबित करने का प्रावधान है। इस कानून को देश की एक संवैधानिक निगरानी संस्था की मंजूरी भी मिल चुकी है। माना जा रहा है कि ईरान के इस निर्णय से अमेरिका के साथ उसके संबंधों में और अधिक तनाव आ सकता है।
जानकारी के मुताबिक, ईरान ने IAEA से अलग होने का फैसला अमेरिका की ओर से परमाणु ठिकानों पर हुए हमले के बाद लिया है। 13 जून 2025 को इजराइल ने ईरान पर हवाई हमला किया था। इसके बाद 22 जून को इस जंग में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से शामिल होने का ऐलान करते हुए ईरान के तीन प्रमुख ठिकानों नतांज, इस्फहान और फोर्डो पर हमला किया था। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि हमले से ‘ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।
25 जून 2025 को ईरान की संसद ने भारी बहुमत से 221-0 वोटों से एक विधेयक पारित किया, जिसमें IAEA के साथ सहयोग निलंबित करने का प्रावधान था। इस मतदान में एक सांसद ने हिस्सा नहीं लिया। अब इस विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए ईरान की गार्जियन काउंसिल और सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को भेजा गया है। ईरान का कहना है कि जब तक उसके परमाणु स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, तब तक वह IAEA के साथ सहयोग नहीं करेगा।
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इससे पहले IAEA ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। एजेंसी ने दावा किया था कि ईरान ने परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में प्रगति करते हुए गुप्त रूप से कई विस्फोट परीक्षण किए हैं।