फ्रांस की विदेश मंत्रालय की महासचिव ऐनी-मारी डेसकोट्स, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
India France Rafale Deal: फ्रांस हमेशा से भारत का भरोसेमंद सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंध और भी गहरे हुए हैं। खासतौर पर राफेल फाइटर जेट डील ने भारत-फ्रांस के बीच भरोसे और साझेदारी को मजबूती दी है। आने वाले समय में भारत फ्रांस से 114 राफेल जेट के बड़े ऑर्डर पर विचार कर सकता है। इस दौरान फ्रांस की विदेश मंत्रालय की महासचिव ऐनी-मारी डेसकोट्स, जो भारत दौरे पर थीं, ने एक इंटरव्यू में दोनों देशों के मजबूत होते रिश्तों पर प्रकाश डाला।
शीर्ष फ्रांसीसी राजनयिक ने एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और फ्रांस अप्रत्याशित परिस्थितियों में विश्व व्यवस्था को स्थिर और पूर्वानुमान योग्य बनाने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं, खासकर जब “टैरिफ” का इस्तेमाल व्यापार में बाधा डाल रहा हो। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे समय में दोनों देशों को मिलकर स्थिरता और स्पष्ट दिशा सुनिश्चित करनी होगी। डेसकोट्स ने यह भी बताया कि फ्रांस भारत के साथ व्यापार नीतियों, सुरक्षा सहयोग और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और दोनों देश ईयू-भारत मुक्त व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने का समर्थन कर रहे हैं।
फ्रांसीसी राजनयिक डेसकोट्स ने बताया कि भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग अब रणनीतिक साझेदारी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उद्योग क्षेत्र से आई घोषणाएं इस साझेदारी की गति और प्रभावशीलता को दर्शाती हैं। “मेक इन इंडिया” पहल के तहत फ्रांसीसी रक्षा कंपनियां लंबे समय से भारत में निवेश कर रही हैं, जिससे स्थानीय उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा मिला है। उदाहरण के तौर पर, हेलीकॉप्टर इंजनों पर HAL और SAFRAN का सहयोग इसका स्पष्ट प्रमाण है। जनवरी 2024 में राष्ट्रपति मैक्रों के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों ने रक्षा उद्योग सहयोग के लिए रोडमैप को मंजूरी दी, जो भविष्य में इस साझेदारी को और गहरा करेगा।
डेसकोट्स ने यह भी कहा कि सुरक्षा सहयोग के अलावा, दोनों देश महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सप्लाई चेन सुरक्षा में मिलकर काम कर रहे हैं। भारत की सह-अध्यक्षता में फरवरी में पेरिस AI एक्शन समिट और भारत में AI इम्पैक्ट समिट में राष्ट्रपति मैक्रों की भागीदारी इस सहयोग की गंभीरता को दर्शाती है। इस वर्ष दोनों नेताओं द्वारा अनुमोदित भारत-फ्रांस रोडमैप ऑन AI द्विपक्षीय परियोजनाओं और बहुपक्षीय मंचों पर तालमेल के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।
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चीन को इंडो-पैसिफिक में कड़ा संदेश दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि फ्रांस अकेला यूरोपीय संघ का देश है जिसकी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय नौसैनिक मौजूदगी है। जब पूछा गया कि क्या चीन की आक्रामक गतिविधियों के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और खुला बनाए रखने के लिए कोई नई साझा पहल हुई है और तीसरे देशों के साथ संयुक्त परियोजनाओं में क्या प्रगति हुई है, तो उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि हमारे ऑपरेशनल सहयोग के जरिए एक खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा मिल रहा है। पिछले साल इस मामले में विशेष रहा, जब फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक समूह ने भारत में दो बार बंदरगाहों का दौरा किया।”