तेहरान के मिसाइल प्लानिंग से अमेरिका-इजरायल अलर्ट पर, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Middle East News In Hindi: मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है। खुफिया सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि ईरान की सेना लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए जैविक और रासायनिक हथियार तैयार करने में जुटी है।
इस पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एयरोस्पेस फोर्स के पास बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीते कुछ महीनों में इन गतिविधियों में तेजी देखी गई है।
कहा जा रहा है कि ईरान ने यह कदम अमेरिका और इजरायल की ओर से संभावित सैन्य हमलों के खतरे को देखते हुए उठाया है। तेहरान को आशंका है कि आने वाले समय में अमेरिका और इजरायल के साथ उसका सीधा सैन्य टकराव हो सकता है ऐसे में वह अपनी रणनीतिक ताकत को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
इसी बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के फ्लोरिडा पहुंचे हैं। वह सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य विकल्पों पर गंभीर चर्चा हो सकती है। अमेरिका और इजरायल दोनों को शक है कि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल ढांचे को दोबारा मजबूत कर रहा है और जून में हुई सीमित झड़पों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए अपने एयर डिफेंस सिस्टम की मरम्मत भी कर चुका है।
सूत्रों का कहना है कि ईरान अब मिसाइलों को इस तरह डिजाइन कर रहा है कि वे रासायनिक और जैविक हथियार ले जाने में सक्षम हों। इसके साथ ही मिसाइलों के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को भी अपग्रेड किया जा रहा है ताकि बड़े युद्ध की स्थिति में इनका प्रभावी इस्तेमाल किया जा सके। एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, ईरानी नेतृत्व इन हथियारों को अपनी पारंपरिक मिसाइल क्षमता के साथ एक ‘डर पैदा करने वाला अतिरिक्त विकल्प’ मानता है, जिससे दुश्मन देशों के लिए युद्ध की कीमत बेहद महंगी हो जाएगी।
हालांकि, ये दावे ईरान के आधिकारिक बयानों से उलट हैं। कुछ महीने पहले ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि ईरान खुद आधुनिक इतिहास में रासायनिक हथियारों का सबसे बड़ा शिकार रहा है। उन्होंने 1980 के दशक में इराक के तत्कालीन शासक सद्दाम हुसैन द्वारा सरदश्त शहर पर किए गए मस्टर्ड गैस हमले का जिक्र किया था जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसके बावजूद, एक सूत्र का कहना है कि ईरानी नेतृत्व मानता है कि अगर देश के अस्तित्व पर खतरा हो तो ऐसे हथियारों का इस्तेमाल जायज ठहराया जा सकता है।
पिछले हफ्ते पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने IRGC की कुछ असामान्य गतिविधियों को नोट किया है जिनमें कमांड सिग्नल, सैन्य तैनाती और लॉजिस्टिक मूवमेंट शामिल हैं। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये रिपोर्ट्स सही साबित होती हैं तो इससे पूरे मध्य पूर्व का शक्ति संतुलन बदल सकता है। साथ ही ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा और नए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
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ईरान लगातार इस तरह के हथियार बनाने से इनकार करता रहा है और दावा करता है कि वह अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता है। बावजूद इसके, उसका मिसाइल कार्यक्रम अमेरिका, इजरायल और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।