इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिअंतो और पीएम मोदी, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: भारत के गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2025 पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिअंतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। पहले उनकी योजना थी कि वे भारत के बाद पाकिस्तान का दौरा करेंगे, हालांकि, भारत सरकार ने इस प्रस्तावित दौरे पर कूटनीतिक दबाव डाला, जिससे परिस्थितियां बदल गईं।
इसके परिणामस्वरूप, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने पाकिस्तान जाने के बजाय मलेशिया का दौरा करने का निर्णय लिया। भारत के इस कदम को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के लिए यह एक बड़ा कूटनीतिक झटका साबित हुआ है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का दौरा अचानक रद्द होने से पाकिस्तान में हलचल मच गई। दौरे की तैयारियों में सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी थी, यहां तक कि एक मंत्री को विशेष रूप से स्वागत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
दौरे के रद्द होने से पाकिस्तान में निराशा और आक्रोश का माहौल बन गया है। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इस घटनाक्रम ने शहबाज सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है।
पाकिस्तान के विदेशी मामलों के जानकार और पत्रकार इस घटना पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। पाकिस्तानी महिला पत्रकार और यूट्यूबर आरजू काजमी ने इस मामले पर कहा कि भारत को गणतंत्र दिवस के लिए कोई और मेहमान नहीं मिला, इसलिए उन्होंने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को आमंत्रित कर लिया।
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काजमी का दावा है कि पाकिस्तान पहले से ही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के स्वागत की तैयारियों में जुटा था, लेकिन भारत ने व्यापार और अन्य प्रलोभन देकर उन्हें अपनी ओर कर लिया। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने सोचा होगा कि भारत से उन्हें ज्यादा फायदे मिल सकते हैं, इसीलिए उन्होंने पाकिस्तान के बजाय भारत को प्राथमिकता दी। आरजू काजमी के अनुसार, यह कदम भारत की कूटनीतिक चाल है, जिससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है।
विदेशी मामलों के विशेषज्ञ कमर चीमा ने इस घटना पर अपनी टिप्पणी में कहा कि यह कदम भारत द्वारा बांग्लादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रमों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया हो सकता है। उनका मानना है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत की चिंता बढ़ी हुई है, और इसी कारण से भारत ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के दौरे को रद्द करवाने का कदम उठाया।
वहीं, आम लोगों का सोशल मीडिया पर कई बयान सामने आए हैं जिसमें एक ने कहा कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का पाकिस्तान न आना इसका कारण है कि पाकिस्तान अपने सामने कुछ खास नहीं पेश कर पा रहा। वर्तमान समय में देशों के फैसले आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए होते हैं, न कि धार्मिक आधार पर। इसके अलावा लोगों का कहना है कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग है, जबकि पाकिस्तान की वैल्यू कम है। यही वजह है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने भारत को अपनी यात्रा का चयन किया।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान का अपना दौरा रद्द कर दिया, जिसे भारत की कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस घटना से यह साफ नजर आता है कि भारत की बढ़ती वैश्विक प्रभावशीलता पाकिस्तान के साथ उसके कूटनीतिक संबंधों में अहम भूमिका निभा रही है। पाकिस्तान के विशेषज्ञ और जनता इसे इस बात का संकेत मान रहे हैं कि आजकल अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आर्थिक ताकत और राजनीतिक स्थिरता सबसे महत्वपूर्ण कारक बन चुके हैं।