चेन्नई की टीम 'फोटोनिक्स ओडिसी' ने नासा के 2025 स्पेस ऐप्स चैलेंज में वैश्विक जीत हासिल की (सोर्स-सोशल मीडिया)
Satellite Internet Success India: अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने एक बार फिर वैश्विक पटल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रतिष्ठित ‘2025 इंटरनेशनल स्पेस ऐप्स चैलेंज’ में एक भारतीय टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
चेन्नई की इस टीम ने एक क्रांतिकारी सैटेलाइट इंटरनेट सिस्टम का मॉडल पेश किया है जो भविष्य की कनेक्टिविटी बदल सकता है। इस जीत ने न केवल देश का गौरव बढ़ाया है बल्कि दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने की नई उम्मीद भी जगाई है।
नासा द्वारा आयोजित इस ग्लोबल हैकाथॉन में चेन्नई की टीम ‘फोटोनिक्स ओडिसी’ ने दुनिया भर के हजारों प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए ‘मोस्ट इंस्पिरेशनल अवॉर्ड’ अपने नाम किया। इस टीम की सबसे खास बात यह रही कि इन्होंने सैटेलाइट इंटरनेट को किसी व्यावसायिक या निजी सेवा के रूप में देखने के बजाय, इसे देश की एक ‘सार्वजनिक सुविधा’ के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया। टीम के सदस्यों मनीष डी., प्रशांत जी. और अन्य साथियों ने मिलकर एक ऐसा सिस्टम डिजाइन किया है जो बेहद किफायती और सुलभ है।
भारतीय टीम के इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत के उन करीब 700 मिलियन (70 करोड़) लोगों तक इंटरनेट पहुंचाना है, जो आज भी डिजिटल दुनिया से कटे हुए हैं और जिनके पास ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं है।
नासा के अनुसार, यह नवाचार भौगोलिक बाधाओं को पार कर देश के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में भी तेज और स्थिर इंटरनेट सेवा सुनिश्चित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मॉडल को लागू करने से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक बड़ी डिजिटल क्रांति आ सकती है।
नासा के 2025 एडिशन में इस बार रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी देखी गई। इसमें 167 देशों के 551 स्थानीय कार्यक्रमों में कुल 1,14,000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कुल 11,500 से ज्यादा प्रोजेक्ट सबमिशन में से केवल चुनिंदा विजेताओं को नासा के वैज्ञानिकों और सहयोगी संगठनों के विशेषज्ञों द्वारा चुना गया।
नासा की अर्थ साइंस डिवीजन की निदेशक कैरन सेंट जर्मेन ने इस मौके पर कहा कि यह चैलेंज नासा के ओपन डेटा का उपयोग कर दुनिया भर के लोगों को वैश्विक समस्याओं के समाधान खोजने के लिए प्रेरित करता है।
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इस प्रतियोगिता में केवल चेन्नई की टीम ही नहीं, बल्कि भारतीय मूल के अन्य छात्रों ने भी अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया। ‘एस्ट्रो स्वीपर्स’ नामक टीम ने ‘गैलेक्टिक इम्पैक्ट अवॉर्ड’ जीता, जिसका प्रोजेक्ट पृथ्वी की निचली कक्षा में बढ़ते कचरे और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान पर आधारित था।
इसके अलावा अमेरिका की टीम ‘रेज़ोनेंट एक्सोप्लैनेट्स’ को ‘बेस्ट यूज ऑफ डेटा अवॉर्ड’ मिला। साल 2012 में शुरू हुई यह वार्षिक प्रतियोगिता अब दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान साझेदारी बन चुकी है, जहां भारतीय प्रतिभाएं हर साल नए रिकॉर्ड बना रही हैं।