भारत-अमेरिका में बड़ी डील, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने आने वाले 10 वर्षों के लिए रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक नई रणनीतिक पहल की है। यह समझौता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बीच हुआ। दोनों देशों ने एक दीर्घकालिक रक्षा ढांचे को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई है, जिससे आपसी रक्षा और रणनीतिक संबंध और गहरे होंगे।
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने बुधवार को इस साझेदारी की घोषणा की। यह बयान उस टेलीफोन बातचीत के एक दिन बाद आया, जो राजनाथ सिंह और हेगसेथ के बीच हुई थी। पेंटागन के अनुसार, “दोनों नेताओं ने इस वर्ष अपनी आगामी बैठक में 10 वर्षों के लिए द्विपक्षीय रक्षा ढांचे पर सहमति जताई है।”
बयान में यह भी कहा गया कि बातचीत के दौरान भारत को प्रस्तावित अमेरिकी हथियारों की बिक्री और रक्षा औद्योगिक सहयोग की ज़रूरतों पर विस्तार से चर्चा की गई।
पेंटागन ने कहा कि अमेरिका दक्षिण एशिया में भारत को अपनी मुख्य रक्षा साझेदारी के रूप में प्राथमिकता देता है। संस्था के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फरवरी 2025 में जारी साझा बयान में तय किए गए रक्षा सहयोग के लक्ष्यों पर अब तक हुई “ठोस प्रगति” की दोनों नेताओं ने समीक्षा की। हालांकि विवरण नहीं दिया गया, लेकिन बयान में कहा गया कि भारत को अमेरिकी रक्षा उपकरणों की संभावित बिक्री और रक्षा उद्योग में साझेदारी की आवश्यकता पर चर्चा की गई।
तीसरे विश्व युद्ध की आहट! चीन बना रहा पेंटागन से 10 गुना बड़ा मिलिट्री शहर
मंगलवार को हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के उप रक्षा मंत्री हेगसेथ से अनुरोध किया कि तेजस हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के लिए GE F404 इंजन की आपूर्ति प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। सूत्रों के अनुसार, राजनाथ सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिकी कंपनी GE Aerospace के बीच भारत में F414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन को लेकर प्रस्तावित समझौते को जल्द अंतिम रूप देने पर भी जोर दिया। दरअसल, GE Aerospace की ओर से F404 इंजन की आपूर्ति में देरी की वजह से HAL तेजस मार्क 1ए विमान को भारतीय वायुसेना को समय पर नहीं सौंप सका है।
भारतीय पक्ष की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया कि सिंह और हेगसेथ ने रक्षा सहयोग को मजबूती देने के लिए कई अहम पहलुओं पर चर्चा की। इनमें दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, सैन्य बलों के बीच आपसी आदान-प्रदान और रक्षा उद्योग में सहयोग को बढ़ाने जैसे विषय शामिल थे। बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि दोनों नेताओं ने इस रणनीतिक और परस्पर लाभकारी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।