पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय ब्रिटेन यात्रा के दौरान, भारत और ब्रिटेन सीमा पार आतंकवाद जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे और ऐसी चुनौतियों का मिलकर सख्ती से मुकाबला करने की आवश्यकता पर जोर देंगे।
पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) कई आतंकी घटनाओं में संलिप्त रहा है। इसमें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में नागरिकों पर किए गए क्रूर हमले जैसी घटनाएं शामिल हैं, जिसकी जिम्मेदारी इस संगठन ने दो बार स्वीकार की है।
विदेश सचिव ने कहा, “पहलगाम में टीआरएफ की भूमिका को लेकर आप हालिया घटनाओं से भली-भांति परिचित हैं। अमेरिका के विदेश विभाग ने हाल ही में टीआरएफ को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है, साथ ही उसे विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी करार दिया है और पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा प्रतिनिधि माना है। मुझे विश्वास है कि हमारे ब्रिटिश साझेदार इस घटनाक्रम से अवगत हैं। यह हमारे लिए सीमा पार आतंकवाद जैसी गंभीर चुनौतियों पर अपने विचार साझा करने और इस पर ठोस प्रतिक्रिया देने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।”
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पिछले हफ्ते अमेरिका ने टीआरएफ को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया। इस निर्णय की घोषणा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कदम अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा, आतंकवाद से लड़ने और पहलगाम हमले को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की न्याय की मांग को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रुबियो ने बताया कि टीआरएफ, जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक मुखौटा और सहायक संगठन है, ने 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, और यह घटना 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
भारत ने अमेरिका के इस निर्णय की सराहना की और इसे एक समय पर लिया गया अहम कदम बताया। भारत का मानना है कि यह फैसला दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ मजबूत सहयोग को दर्शाता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)