नेपाल की मौजूदा स्थिति पर भारत की पैनी नजर, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
Nepal Protests: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर, भारत सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में अपना आधिकारिक बयान जारी किया।
मंत्रालय ने नेपाल में विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस के व्यवहार पर चिंता और दुःख व्यक्त किया। बयान में कहा गया कि इस दौरान कई युवा घायल हुए और कुछ की जान भी गई। विदेश मंत्रालय ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल हमारे पड़ोसी देश होने के नाते हम वहां की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। हम आशा करते हैं कि नेपाल में हालात जल्द सामान्य हों और किसी भी मुद्दे पर मतभेद होने पर उसका समाधान संवाद के माध्यम से किया जाए। साथ ही, मंत्रालय ने नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों से कहा है कि वे स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। बयान में यह भी बताया गया कि नेपाल के कई शहरों में वर्तमान हालात को देखते हुए कर्फ्यू लगाया गया है।
मिल रही मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब नेपाल में विरोध प्रदर्शन को राजनीतिक बल मिला है। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। रवि लामिछाने की अगुवाई में पहली बार चुनाव जीतकर आई इस पार्टी ने हमेशा ही विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया है। पार्टी का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में संसद को भंग कर नए चुनाव कराने चाहिए ताकि जनता को सही विकल्प मिल सके। इस कदम को ओली सरकार पर दबाव बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
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गौरतलब है कि नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया, जिसके विरोध में देशभर के युवा सड़कों पर उतर आए। इस विरोध को रोकने के लिए पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया, जिसमें कई युवाओं की मौत हुई और कई घायल हुए। इसी बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मंत्रिमंडल के एक और मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। कृषि और पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने कहा कि देश में बढ़ती हिंसा और आम लोगों की पीड़ा को देखते हुए वह अपने पद पर बने नहीं रह सकते। इससे पहले, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक भी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)