क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग लंदन में फिलिस्तीन का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार (सोर्स-सोशल मीडिया)
Palestine Action Support Arrest: दुनिया की मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग एक बार फिर विवादों और कानूनी कार्रवाई के केंद्र में हैं। 23 दिसंबर 2025 को उन्हें सेंट्रल लंदन में ‘फिलिस्तीन एक्शन’ नामक संगठन के समर्थन में प्रदर्शन करने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया।
उन पर ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित (Proscribed) आतंकवादी संगठन का समर्थन करने वाली सामग्री प्रदर्शित करने का गंभीर आरोप है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब वह जेल में बंद उन कार्यकर्ताओं के समर्थन में आवाज उठा रही थीं, जो बिना किसी मुकदमे के हिरासत के विरोध में भूख हड़ताल पर हैं।
लंदन पुलिस के अनुसार, 22 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को ‘टेररिज्म एक्ट 2000’ की धारा 13 के तहत गिरफ्तार किया गया है। उन पर एक ऐसा पोस्टर (प्लैकार्ड) दिखाने का आरोप है जो प्रतिबंधित संगठन ‘फिलिस्तीन एक्शन’ का समर्थन करता है।
इस पोस्टर पर लिखा था, “I support the Palestine Action prisoners” (मैं फिलिस्तीन एक्शन के कैदियों का समर्थन करती हूं)। ब्रिटिश सरकार ने इसी साल की शुरुआत में इस संगठन को आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण बैन कर दिया था।
यह विरोध प्रदर्शन सेंट्रल लंदन के ‘सिटी ऑफ लंदन’ इलाके में ‘एस्पेन इंश्योरेंस’ (Aspen Insurance) के दफ्तर के बाहर किया गया। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह कंपनी इजरायली हथियार निर्माता कंपनी ‘एल्बिट सिस्टम्स’ का बीमा करती है।
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने इमारत पर लाल रंग का पेंट फेंका, जो इजरायल-हमास युद्ध में बह रहे खून का प्रतीक था। पुलिस ने इस मामले में ग्रेटा समेत कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
ग्रेटा थनबर्ग उन आठ कार्यकर्ताओं के प्रति एकजुटता जता रही थीं, जो पिछले 52 दिनों से जेल में भूख हड़ताल पर हैं। ये कार्यकर्ता ‘फिलिस्तीन एक्शन’ से जुड़े थे और ट्रायल का इंतजार कर रहे हैं।
ग्रेटा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर इन्हें “राजनीतिक कैदी” बताया था और सरकार से मांग की थी कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। हालांकि, पुलिस कार्रवाई के बाद ग्रेटा को फिलहाल मार्च 2026 तक के लिए जमानत (Bail) पर छोड़ दिया गया है।
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यह पहली बार नहीं है जब ग्रेटा थनबर्ग को गिरफ्तार किया गया हो। इससे पहले फरवरी 2024 में उन्हें तेल और गैस सम्मेलन को बाधित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था।
इस ताजा गिरफ्तारी की संयुक्त राष्ट्र (UN) के विशेष दूतों और कई मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है, इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार बताया है।