यूक्रेन बनाएगा लॉन्ग रेंज मिसाइलें, (डिजाइन फोटो)
बर्लिन: रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ते तनाव के बीच, यूरोप में स्थिति गंभीर होती जा रही है। ऐसे में जर्मनी ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिक निर्णय लिया है। अब वह न केवल यूक्रेन को आर्थिक मदद करेगा, बल्कि लॉन्ग रेंज मिसाइलों के निर्माण में भी सहयोग देगा। यह कदम यूक्रेन की सैन्य ताकत को बढ़ाने के साथ-साथ रूस पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाने का भी प्रयास है।
जर्मनी ने यूक्रेन को 5 अरब पाउंड की फंडिंग देने की घोषणा की है ताकि यूक्रेन अपनी लॉन्ग रेंज मिसाइलों का उत्पादन खुद कर सके। जर्मन रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, यह सहायता युद्ध से प्रभावित यूक्रेन की सैन्य उत्पादन क्षमता को मजबूत करने के लिए है। इसका मकसद यूक्रेन को आत्मनिर्भर बनाना है। इससे पहले जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने यूक्रेन को सैन्य मदद देने का वादा किया था, जो अब आधिकारिक तौर पर लागू हो रहा है।
जर्मनी द्वारा दी जा रही सहायता को स्पष्ट रूप से सैन्य सहायता कहा गया है। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने पहले ही इस बात का यूक्रेन से वादा किया था। जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह सहायता एक युद्ध से प्रभावित देश के लिए है, जिसे भारी मात्रा में हथियारों की आवश्यकता है। इस मदद के जरिए उसे अपनी हथियार उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मदद केवल आर्थिक रूप में नहीं होगी, बल्कि यूक्रेन को मिसाइलों के महत्वपूर्ण हिस्से भी सीधे उपलब्ध कराए जाएंगे। इस समय यूक्रेन गंभीर हथियारों की कमी और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में यह सहायता उसके लिए एक बड़ी राहत साबित होगी। जर्मनी के चांसलर मर्ज ने कहा कि अब यूक्रेन की मार की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने हफ्ते की शुरुआत में कहा कि यूक्रेन अब केवल अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि रूस के अंदर घुसकर हमले कर रहा है।
हाल ही में रूस की राजधानी तक हुए हमले ने इस बात को और भी सशक्त किया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस हमले में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी निशाना बनाने की चर्चा थी।
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जर्मनी के अलावा कई यूरोपीय देश लगातार रूस पर दबाव डाल रहे हैं कि वह युद्ध को समाप्त करे। साथ ही, अमेरिका भी रूस से युद्ध खत्म करने की मांग कर रहा है। इसी महीने तुर्की में यूक्रेन और रूस के बीच सीधे बातचीत कराने की कोशिश की गई थी। इस वार्ता में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहुंचे, लेकिन रूस ने केवल अपने निचले अधिकारियों को भेजा और किसी मंत्री स्तर के प्रतिनिधि को नहीं भेजा। इस कारण से दोनों देशों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं हो सकी। हालांकि, इस दौरान कई रातें ऐसी भी रही हैं जब यूक्रेन को काफी नुकसान हुआ।
मंगलवार को जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से अपील की कि उन्हें इस साल के अंत तक 30 अरब डॉलर की वित्तीय मदद दी जाए। ताकि वे अपने देश में हथियारों का उत्पादन बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि अमेरिका से अब उन्हें पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है, इसलिए उन्हें खुद अपने संसाधनों को विकसित करना होगा। फिलहाल, रूस ने जर्मनी के इस निर्णय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह विषय आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काफी चर्चा का विषय बनेगा।