फ्रांस में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग (फोटो- सोशल मीडिया)
France Gen Z Protests: फ्रांस की राजधानी पेरिस में बजट कटौती को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को ट्रेड यूनियन समूहों ने एक रैली आयोजित की थी, जिसमें 5 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच सोशल मीडिया पर फ्रांस सुरक्षाकर्मियों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे एक महिला प्रदर्शनकारी पर बल प्रयोग करते हुए नजर आ रहे हैं।
फ्रांस में हो रहे इन प्रदर्शनों में नेपाल में हाल ही में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों की तरह बड़ी संख्या में जनरेशन ज़ेड (Gen Z) प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया। यहां स्कूली छात्रों ने हाईवे जाम कर दिया और आग लगाकर सरकार की नीतियों का विरोध किया। फ्रांस की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए 80 हजार सुरक्षा बल तैनात किए हैं, और अब तक 141 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
फ्रांस में गुरुवार को राजधानी पेरिस, लियोन, नांतेस, मार्सिले, बोर्डो, टूलूज और कैन जैसे शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। इसके चलते हाईवे जाम हो गए। वहीं, प्रदर्शन बढ़ने पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। इस दौरान पुलिस का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें पुलिसकर्मी एक महिला को पहले लात मारते हैं, जिससे वह गिर जाती है। फिर जब महिला किसी तरह उठती है, तो पुलिस उसे धक्का देकर आगे धकेल देती है, जिससे वह एक बार फिर गिर जाती है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर फ्रांसीसी सुरक्षाकर्मियों की आलोचना कर रहे हैं।
In France, more than 1 million people took to the streets as part of the”Block everything” protest
300 people were arrested
Teachers, train drivers, pharmacists, and medics declared a strike
Here Police in “Free Europe” kick a young woman along the street. pic.twitter.com/zWi8sM6VYj
— Chay Bowes (@BowesChay) September 18, 2025
बता दें, फ्रांस सरकार ने 2026 के बजट में करीब 52 अरब डॉलर की कटौती करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें पेंशन पर रोक लगाना, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए खर्च में कमी करना, बेरोजगारी भत्ते में कटौती और दो राष्ट्रीय छुट्टियों को समाप्त करना शामिल है।
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सरकार का कहना है कि देश का वित्तीय घाटा यूरोपीय संघ के 3% के मानक से दोगुना है और कर्ज जीडीपी के 114% तक पहुंच चुका है। हालांकि, आम लोग इसे अमीरों के लिए राहत और गरीबों पर अतिरिक्त बोझ मानते हैं। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाए, क्योंकि महंगाई के कारण पहले ही जीवन मुश्किल हो चुका है।