मैक्रों ने फिलिस्तीन को मान्यता देकर ट्रंप की बढ़ाईं मुश्किले, (डिजाइन फोटो)
Emmanuel Macron On Palestine: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को घोषणा की कि उनका देश अब आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे रहा है। यह ऐतिहासिक फैसला संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान लिया गया, जिसकी अध्यक्षता फ्रांस और सऊदी अरब ने संयुक्त रूप से की। इस सम्मेलन का उद्देश्य इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के लिए “दो-राष्ट्र समाधान” के समर्थन को एक नए स्तर पर ले जाना है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के हॉल में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की घोषणा गूंजते ही वहां मौजूद 140 से अधिक नेताओं ने जोरदार तालियों से उसका स्वागत किया। मैक्रों ने कहा कि मध्य पूर्व और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में शांति बहाल करने के प्रति फ्रांस की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए मैं आज औपचारिक रूप से घोषणा करता हूं कि फ्रांस फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देता है। हालांकि इस बैठक और फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने की बढ़ी हुई मान्यता से जमीनी हालात में तुरंत कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है। गाजा पट्टी में इजरायल का हमला जारी है और कब्जे वाले पश्चिमी तट पर बस्तियों का विस्तार लगातार बढ़ रहा है।
बैठक की शुरुआत में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से राज्य के रूप में मान्यता देने की घोषणा की। इस बैठक में कई वैश्विक नेताओं के संबोधित करने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण देंगे, क्योंकि अमेरिका ने उन्हें और कई अन्य वरिष्ठ फिलिस्तीनी अधिकारियों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए वीज़ा देने से इनकार कर दिया है।
ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने रविवार को फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी है। इसके बाद फिलिस्तीनियों का मानना है कि आने वाले दिनों में कम से कम 10 और देश इस कदम का अनुसरण कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से करीब तीन-चौथाई पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं, लेकिन प्रमुख पश्चिमी ताकतें अब तक इस पर सहमत नहीं थीं। उनका तर्क था कि फिलिस्तीन की मान्यता सिर्फ इजरायल के साथ सीधे संवाद से ही संभव है। वहीं, फिलिस्तीनी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह कदम भविष्य में उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने का रास्ता खोलेगा।
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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने का विरोध करती है। उनका कहना है कि ऐसा कदम हमास जैसे उग्रवादी संगठन को ताकत देगा, जो अब भी गाज़ा के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा बनाए हुए है। नेतन्याहू ने यह भी संकेत दिया कि इजरायल पलटवार के तौर पर कुछ एकतरफ़ा कदम उठा सकता है, जैसे पश्चिमी तट के इलाकों पर कब्ज़ा करना, जिससे फिलिस्तीनी राज्य बनने की संभावना और कमजोर हो जाएगी।