ट्रंप-जेलेंस्की, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
US Russia peace deal: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की सोमवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अहम मुलाकात करेंगे। इस वार्ता के दौरान यूरोपीय संघ, नाटो और कई प्रमुख यूरोपीय देशों के नेता भी ज़ेलेंस्की के साथ मौजूद रहेंगे।
यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उर्सला वॉन डेर लेयेन ने रविवार को ज़ेलेंस्की से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की कि वह भी इस बैठक में उनके साथ शामिल होंगी।
व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की और ट्रंप की बैठक के दौरान इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, नाटो महासचिव मार्क रुटे और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी मौजूद रहेंगे।
जेलेंस्की ने रविवार को एक्स पर लिखा कि उन्होंने यूरोपीय नेताओं को ट्रांसअटलांटिक एकता, शांति की पहल, क्षेत्रीय चुनौतियों और सुरक्षा गारंटी को लेकर यूक्रेन का पक्ष स्पष्ट रूप से बताया है। उनका कहना था कि यूरोप को 2022 की तरह ही एकजुट रहना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि वास्तविक शांति सिर्फ इसी मजबूत एकजुटता से संभव है।
पुतिन पर निशाना साधते हुए ज़ेलेंस्की ने कहा कि वे हत्याओं को रोकना नहीं चाहते, जबकि उन्हें ऐसा करना ही होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि असली बातचीत वहीं से शुरू हो सकती है, जहां मौजूदा समय में फ्रंट लाइन बनी हुई है।
सुरक्षा को लेकर ज़ेलेंस्की ने अमेरिका और यूरोप से गारंटी की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि यूक्रेन का संविधान किसी भी हाल में जमीन का सौदा करने या उसे छोड़ने की अनुमति नहीं देता। अगर रूस बातचीत से पीछे हटता है, तो उस पर नए प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। इस बैठक का मकसद यह है कि अमेरिका रूस के साथ किसी समझौते पर न पहुंचे। यूरोपीय और नाटो नेताओं की संयुक्त मौजूदगी यह स्पष्ट संदेश देती है कि ज़ेलेंस्की पर किसी तरह का दबाव न डाला जाए, जैसा कि पिछली बार फरवरी में ट्रंप से मुलाकात के दौरान हुआ था।
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शिखर सम्मेलन के बाद ट्रंप ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए जमीन की अदला-बदली जैसे मुद्दों पर “काफी हद तक सहमति” बनी हुई है। गौरतलब है कि रूस लंबे समय से शांति समझौते की शर्त के तौर पर यूक्रेन से क्षेत्रीय रियायतों की मांग करता रहा है।
वहीं, पुतिन की रणनीति यह हो सकती है कि यूक्रेन पर लगातार सैन्य दबाव डालते हुए इन रियायतों को मनवाया जाए। युद्ध के चलते जनता में बेचैनी बढ़ रही है और पुतिन को उम्मीद है कि थकी हुई जनता आखिरकार ऐसे समझौते को मानने लगेगी और इसे आकर्षक विकल्प समझेगी।