तुर्की फाइटर जेट। इमेज-सोशल मीडिया
Turkey S-400: तुर्की को लेकर बड़ी खबर आई है। वह रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम छोड़ने को तैयार है। इसके एवज में वह दोबारा अमेरिकी F-35 स्टील्थ फाइटर प्रोग्राम में शामिल होना चाह रहा। 2019 में S-400 खरीदने के बाद अमेरिका ने तुर्की को इस प्रोजेक्ट से बाहर किया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम सच होता है तो यह तुर्की की विदेश नीति में व्यापक बदलाव माना जाएगा।
अमेरिका तुर्की को यह सिस्टम फिर रूस भेजने नहीं देगा। ऐसा करना प्रतिबंधों का उल्लंघन माना जाएगा। रूस इसे अपनी जीत के तौर पर पेश कर सकता है। ऐसे में माना जा रहा कि अमेरिका इन S-400 सिस्टम को अपने कब्जे में लेकर उनकी तकनीक, रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की बारीकी से जांच करेगा। दूसरी संभावना है कि तुर्की को मजबूर किया जाए कि वह सिस्टम को किसी ऐसे तीसरे देश को दे, जो न अमेरिका की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ाए और न रूस को फायदा पहुंचाए।
चर्चा यह भी है कि क्या भारत तुर्की के S-400 का संभावित ठिकाना बन सकता है? भारत पहले से रूस से S-400 की 3 रेजिमेंट खरीद चुका है। उन्हें तैनात भी कर चुका है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि तुर्की वाला विकल्प भारत के लिए ठीक नहीं है। वजह है कि भारत को रूस से वही सिस्टम मिला है, जो रूसी सेना खुद इस्तेमाल करती है। वहीं, तुर्की को इसका डाउनग्रेडेड वर्जन मिला था। भारत कमजोर सिस्टम को क्यों लेगा? वह भी तब जब उसके पास पहले से बेहतरीन तकनीक मौजूद है।
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भारत अपने रक्षा संबंधों को लेकर रूस और अमेरिका के बीच विवाद में फंसना नहीं चाहता है। भारत अमेरिकी दबाव में तुर्की के S-400 लेता है तो इससे रूस से रिश्ते बिगड़ सकते हैं। रूस भी नहीं चाहेगा कि तुर्की के सिस्टम भारत पहुंचे, क्योंकि इससे यह साबित हो जाएगा कि उसने अलग-अलग देशों को अलग कॉन्फिगरेशन वाले सिस्टम दिए हैं। यह उसके भविष्य के हथियार सौदों को प्रभावित कर सकता है। तुर्की के S-400 अब भी अनसुलझा सवाल हैं। तुर्की F-35 प्रोग्राम में वापस लौटना चाहता है। उसके पुराने फैसलों की गूंज अब भी अमेरिकी और रूसी राजनीति में सुनाई दे रही।