ASEAN देशों की दिल्ली में होगी बैठक, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: आतंकवाद तेजी से अपना रूप बदल रहा है और तकनीक का इस्तेमाल करके विभिन्न देशों के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। इसी खतरे से निपटने के उपायों पर चर्चा करने के लिए ADMM-Plus, यानी आसियान देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी। यह महत्वपूर्ण बैठक 19 से 20 मार्च के बीच दिल्ली में होगी, जहां आतंकवाद से निपटने के लिए नए रोडमैप पर विचार किया जाएगा।
भारत और मलेशिया संयुक्त रूप से “ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस” के तहत आतंकवाद विरोधी एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप (EWG) की 14वीं वार्षिक बैठक का आयोजन कर रहे हैं। इस बैठक में ASEAN के 10 सदस्य देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर और थाईलैंड के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
भारत पहली बार आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ कार्य समूह (काउंटर टेररिज्म एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप) की सह-अध्यक्षता कर रहा है। इस बैठक का उद्घाटन 19 मार्च को रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह करेंगे। बैठक में आसियान (ASEAN) देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन, अमेरिका और रूस जैसे आठ डायलॉग पार्टनर देश भी हिस्सा लेंगे। इस बैठक के दौरान 2024 से 2027 तक होने वाली आतंकवाद विरोधी बैठकों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवाद और उग्रवाद के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक मजबूत और प्रभावी रणनीति बनाना है।
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ADMM-Plus एक ऐसा मंच है जो भागीदार देशों के रक्षा विभागों के बीच सहयोग को मजबूत करने का कार्य करता है। वर्तमान में, यह मंच सात प्रमुख क्षेत्रों जिसमें आतंकवाद विरोध, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत अभियान (HADR), शांति स्थापना अभियान, सैन्य चिकित्सा, मानवीय खदान उन्मूलन और साइबर सुरक्षा पर केंद्रित है। इन क्षेत्रों में प्रभावी समन्वय के लिए एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप (EWG) बनाए गए हैं, जिनकी सह-अध्यक्षता हर तीन साल के चक्र में एक आसियान सदस्य देश और एक संवाद भागीदार देश द्वारा की जाती है। भारत, एक महत्वपूर्ण साझेदार देश के रूप में, इस सह-अध्यक्षता की जिम्मेदारी निभा रहा है।
यह मंच रणनीतिक संवाद और नए समीकरणों को जन्म देता है। उदाहरण के लिए, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में हालिया शांति के बाद, लाओस में ADMM-Plus बैठक के दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई, जो आपसी संवाद और समझ को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण संकेत था।