अमेरिका के इस कदम से बौखलाया चीन, , फोटो (सो. एआई डिजाइन)
China’s Warning To US: चीन ने मंगलवार को अमेरिका के उस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सभी विदेशी निर्मित ड्रोन प्रणालियों और उनके प्रमुख घटकों को प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं की सूची में शामिल किया गया है। बीजिंग ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका पीछे नहीं हटा तो चीन अपने उद्यमों के वैध हितों की रक्षा के लिए आवश्यक और प्रभावी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
यह प्रतिक्रिया चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से अमेरिकी संघीय संचार आयोग (FCC) द्वारा हाल ही में जारी नोटिस के बाद आई है। एफसीसी के इस नोटिस के तहत विदेशी ड्रोन कंपनियों को ‘अविश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं’ की श्रेणी में डालने की बात कही गई है। माना जा रहा है कि इस कदम से अमेरिकी बाजार में विदेशी, खासकर चीनी ड्रोन कंपनियों के संचालन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने चीन और अमेरिका की कंपनियों के बीच सामान्य व्यापारिक लेनदेन और उद्योग जगत की वास्तविक जरूरतों की बार-बार अनदेखी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि वाशिंगटन ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की अवधारणा का दुरुपयोग कर चीनी उद्यमों को दबाने और प्रतिस्पर्धा को अनुचित तरीके से सीमित करने की कोशिश कर रहा है। चीन के मुताबिक, यह न केवल वैश्विक बाजार व्यवस्था को बाधित करता है बल्कि एकतरफा दबाव की नीति को भी दर्शाता है।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका से अपील की है कि वह इन गलत प्रथाओं को तुरंत समाप्त करे और ड्रोन उद्योग से जुड़े सभी प्रतिबंधात्मक उपायों को वापस ले। प्रवक्ता ने दो टूक कहा कि यदि अमेरिका अपनी मनमानी पर अड़ा रहता है तो चीन अपने उद्यमों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा जिसमें जवाबी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला दोनों देशों के बीच पहले से जारी तकनीकी और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को और गहरा कर सकता है। ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में चीन को एक वैश्विक अग्रणी शक्ति माना जाता है और अमेरिका उसका एक बड़ा उपभोक्ता बाजार रहा है। ऐसे में अमेरिका का यह कदम न केवल चीनी कंपनियों के लिए झटका है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी असर डाल सकता है।
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विश्लेषकों के अनुसार, चीन की तीखी प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तकनीकी वर्चस्व की जंग अब एक नए और ज्यादा आक्रामक चरण में प्रवेश कर चुकी है, जिसका असर आने वाले समय में वैश्विक टेक इंडस्ट्री और व्यापारिक रिश्तों पर साफ दिखाई दे सकता है।