चीन की बढ़ रहीं सैन्य गतिविधियां, ( सो. सोशल मीडिया )
ताइपेः ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने 9 जनवरी को बताया कि ताइवान के आसपास सैन्य गतिविधियाँ बढ़ी हैं। ताइवान के आस-पास 11 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के विमान और 9 पीएलए नौसैनिक जहाज देखे गए। इनमें से 5 विमानों ने ताइवान की सीमा रेखा को पार किया और ताइवान के उत्तरी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में घुस गए।
मंत्रालय ने इस स्थिति की निगरानी की और उचित प्रतिक्रिया दी। इससे पहले 8 जनवरी को भी ताइवान के आस-पास 25 पीएलए विमान और 9 नौसैनिक जहाज देखे गए थे।
11 PLA aircraft and 9 PLAN vessels operating around Taiwan were detected up until 6 a.m. (UTC+8) today. 5 of the aircraft crossed the median line and entered Taiwan’s northern and southwestern ADIZ. We have monitored the situation and responded accordingly. pic.twitter.com/0b5AMgthhZ — 國防部 Ministry of National Defense, ROC(Taiwan) 🇹🇼 (@MoNDefense) January 9, 2025
ताइवान ने हाल ही में घुसपैठ की घटनाओं के बीच अपनी सेना की ताकत दिखाने के लिए वार्षिक मीडिया कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में बख्तरबंद इकाइयों, सेना के विमानन और विशेष बलों ने अपनी युद्धक क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन का उद्देश्य यह दिखाना था कि ताइवान किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस दौरान सेना की तैयारियों और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया गया। ताइवान ने अपने इस कदम से सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है।
ताइवान और चीन के बीच विवाद ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता पर आधारित एक लंबा और जटिल मुद्दा है। ताइवान, जिसे आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) कहा जाता है, अपनी खुद की सरकार, सेना और अर्थव्यवस्था चलाता है। यह एक स्वतंत्र देश की तरह काम करता है।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और इसे “वन चाइना” नीति के तहत देखता है। इसका मतलब है कि दुनिया में केवल एक ही चीन है, जिसकी राजधानी बीजिंग है।
यह विवाद 1945-1949 के चीनी गृह युद्ध के बाद शुरू हुआ। माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट पार्टी ने मुख्य भूमि चीन पर कब्जा कर लिया, और ROC सरकार ताइवान में बस गई। तब से चीन ने ताइवान को अपने साथ मिलाने के लिए कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य दबाव डाला है।
ताइवान अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने पर जोर देता है। यहां की अधिकतर जनता स्वतंत्र रूप से जीने की पक्षधर है और ताइवान सरकार भी यही चाहती है।
चीन-ताइवान विवाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। चीन ने ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य दबाव बढ़ाया है। चीन का लक्ष्य है कि ताइवान उसके साथ फिर से जुड़ जाए। दूसरी तरफ, ताइवान की जनता का बड़ा हिस्सा अपनी आजादी का समर्थन करता है और इसे बनाए रखना चाहता है। इस मुद्दे पर दोनों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है।