चीन अमेरिका टैरिफ वार, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
बीजिंग: अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ लगाने के फैसले के जवाब में, चीन ने भी कई अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि 10 मार्च से सोयाबीन, ज्वार, मांस, समुद्री उत्पाद, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पाद समेत कई अमेरिकी सामानों पर 10% से 15% तक का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों पर टैरिफ दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने के फैसले के जवाब में चीन ने भी कदम उठाया है। यह टैरिफ बढ़ोतरी अमेरिका की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चीन की अनुचित व्यापार नीतियों पर लगाम लगाना है।
इसके अलावा, अमेरिका ने अपने पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको से होने वाले आयात पर भी 25 फीसदी का टैरिफ लागू किया है। इन कार्रवाइयों से व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया है, जो वैश्विक बाजार और आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
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चीन द्वारा लगाए गए टैरिफों का अमेरिकी किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी किसान अपने उत्पादों के निर्यात, विशेषकर चीन जैसे बड़े बाजारों पर काफी हद तक निर्भर हैं। सोयाबीन और पोर्क जैसे उत्पाद सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि चीन इनका सबसे बड़ा खरीदार है। टैरिफ के चलते अमेरिकी उत्पादों की मांग घट सकती है, जिससे उनकी कीमतों और किसानों की आय में कमी आ सकती है। इसके अलावा, अगर यह व्यापारिक विवाद लंबा खिंचता है, तो अमेरिकी किसानों को नए बाजार तलाशने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ बढ़ाने की इस तीव्र होती प्रतिस्पर्धा से एक व्यापक व्यापार युद्ध का खतरा गहराता जा रहा है। ऐसे व्यापारिक विवाद से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ सकती है। यह स्थिति विश्व अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत संवेदनशील है। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक तनाव का प्रभाव अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकता है। कृषि क्षेत्र के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग, प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योग भी इन टैरिफों की मार झेल सकते हैं।