बांग्लादेश में गहराया शिक्षा संकट, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh Education Crisis: बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अब शिक्षा व्यवस्था भी गंभीर संकट में फंसती दिखाई दे रही है। प्राथमिक शिक्षकों ने बुधवार से देशभर के सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का ऐलान कर दिया है। उनकी तीन महत्वपूर्ण मांगों पर कोई ठोस प्रगति नहीं होने से शिक्षकों में भारी आक्रोश है।
मंगलवार रात से ही प्राइमरी टीचर्स डिमांड इम्प्लीमेंटेशन काउंसिल (प्राथमिक शिक्षक की मांग कार्यान्वयन परिषद) के बैनर तले विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। शिक्षकों का कहना है कि अंतरिम सरकार और वित्त मंत्रालय की ओर से मिले आश्वासन के बावजूद उनके वेतन अपग्रेड और प्रमोशन संबंधी मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे पहले भी शिक्षक पे-ग्रेड और प्रमोशन को लेकर लंबी हड़ताल कर चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, काउंसिल ने कहा कि अगर मांगें पूरी नहीं होतीं, तो स्कूल बंद रहेंगे और देशभर में परीक्षाओं का बहिष्कार जारी रहेगा। परिषद के नेताओं ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने वादा जरूर किया था, लेकिन जमीन पर कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
विरोध कर रहे शिक्षकों की तीन प्रमुख मांगें हैं सहायक शिक्षकों का वेतन स्केल ग्रेड 10 तक अपग्रेड करना, 10 और 16 साल की सेवा के बाद मिलने वाले हायर ग्रेड बेनिफिट की समस्याओं का समाधान, और सहायक शिक्षक से हेड टीचर तक 100 फीसदी विभागीय प्रमोशन सुनिश्चित करना।
इस मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद शमसुद्दीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि जब तक सरकार आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं करती, तब तक “लॉक-स्कूल” अभियान जारी रहेगा।
बांग्लादेश प्राइमरी स्कूल असिस्टेंट टीचर्स एसोसिएशन ने भी हड़ताल को अपना समर्थन देते हुए कहा कि मंत्रालय ने पूरे नवंबर के दौरान कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके कारण शिक्षकों का धैर्य जवाब दे चुका है। एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी खैरुन नाहर लिपि ने दावा किया कि प्रदर्शन के दौरान एक शिक्षक की मौत हो गई और कई घायल हुए, लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई संवेदनशील कदम नहीं उठाया गया।
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से यूनुस की अंतरिम सरकार में देश पहले ही आर्थिक चुनौतियों और बढ़ती बेरोज़गारी से जूझ रहा है। अब शिक्षा क्षेत्र में यह व्यापक विरोध सरकारी तंत्र के लिए नई चुनौती बनकर सामने आया है।
यह भी पढ़ें:- श्रीलंका में चक्रवात दितवाह का कहर; भारत का ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ तेज, मौत का आंकड़ा 465 पहुंचा
लगातार प्रदर्शन और स्कूल बंद होने से लाखों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जबकि परीक्षाओं के रुकने से अभिभावकों में भी चिंता बढ़ गई है। शिक्षकों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगों पर आधिकारिक कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे क्लासरूम में वापस नहीं लौटेंगे।