महफुज आलम, नुसरत तबस्सुम (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bangladesh NCP Political Crisis: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना विरोधी छात्र आंदोलन से बनी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) अब अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में संघर्ष कर रही है। यह वही पार्टी है जिसके छात्र संगठन ने 2024 में शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने और मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने में अहम भमिका निभाई थी।
अगले साल 12 फरवरी को होने वाले राष्ट्रीय चुनावों में एनसीपी को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के बाद तीसरी बड़ी पार्टी माना जा रहा था। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग फिलहाल चुनावी दौड़ से बाहर है, क्योंकि उसे यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है।
बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, एनसीपी को डिजिटल दुनिया में काफी लोकप्रियता मिली है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर कम है। इस स्थिति को देखते हुए पार्टी ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। इससे पार्टी के भीतर घमासान मच गया है। अब तक तीन बड़े छात्र नेता एनसीपी से अलग हो चुके हैं।
एनसीपी अब जमात-ए-इस्लामी के साथ 30 सीटों पर समझौता कर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, पार्टी के प्रमुख छात्र नेता महफुज आलम ने हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे दिया और सोशल मीडिया पर साफ कहा कि वह एनसीपी का हिस्सा नहीं हैं। यह एनसीपी से दूसरा बड़ा अलगाव था, क्योंकि इससे पहले पार्टी की प्रमुख सदस्य डॉ. तसनीम जारा भी पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी थीं।
महफुज आलम को बांग्लादेश का एक प्रमुख छात्र नेता माना जाता है। वह शेख हसीना के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन के मुख्य चेहरों में से थे, जिसके कारण हसीना को देश छोड़ना पड़ा था। एनसीपी की एक और प्रमुख छात्र नेता नुसरत तबस्सुम ने भी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इस्तीफा दिया।
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इस पूरे संकट ने एनसीपी को दो गुटों में बांट दिया है। एक गुट जमात के साथ गठबंधन कर रहा है, जबकि दूसरा गुट बीएनपी के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है। पार्टी में हो रहे इन बदलावों और विवादों को देखते हुए, एनसीपी का यह संकट बांग्लादेश में छात्र आंदोलन से निकली एक नई राजनीतिक उम्मीद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।