
बांग्लादेश में यूनुस सरकार खतरे में इंकलाब मंच ने दी सरकार गिराने की वार्निंग (सोर्स-सोशल मीडिया)
Motaleb Sikder Shooting Investigation: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार अब खुद गहरे संकट में घिर गई है। जिस ‘इंकलाब मंच’ ने छात्र आंदोलन के जरिए यूनुस को सत्ता तक पहुंचाया था, अब वही संगठन उनके खिलाफ खड़ा हो गया है।
प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या और अब एक और नेता मोतालेब सिकदर पर हुए जानलेवा हमले ने आग में घी का काम किया है। देश में बढ़ती अस्थिरता के बीच इंकलाब मंच ने सरकार को हटाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का अल्टीमेटम दे दिया है।
शरीफ उस्मान हादी की हत्या के आरोपियों को पकड़ने के लिए दिया गया 24 घंटे का अल्टीमेटम खत्म होने के बाद इंकलाब मंच का गुस्सा फूट पड़ा है। संगठन के पदाधिकारी अब्दुल्ला अल जाबर ने आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय और पुलिस प्रशासन आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने साफ कहा कि अब यह तय किया जाएगा कि यूनुस प्रशासन का समर्थन जारी रखना है या उसे उखाड़ फेंकने के लिए नया आंदोलन शुरू करना है। सोमवार दोपहर से ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा शुरू हो गया है।
अभी उस्मान हादी की मौत का शोक खत्म भी नहीं हुआ था कि सोमवार को खुलना शहर में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक और छात्र नेता मोतालेब सिकदर के सिर में गोली मार दी।
सिकदर ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ (NCP) के खुलना डिवीजन के प्रमुख हैं और 2024 के आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं। उन्हें गंभीर हालत में खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक के बाद एक छात्र नेताओं को निशाना बनाए जाने से पूरे देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
हालांकि अंतरिम सरकार ने हादी की मौत पर राष्ट्रव्यापी शोक घोषित किया था, लेकिन प्रदर्शनकारी इसे केवल दिखावा मान रहे हैं। इंकलाब मंच का आरोप है कि सरकार की ब्रीफिंग में गृह सलाहकार की अनुपस्थिति यह दर्शाती है कि प्रशासन इन हत्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों से पहले इन हमलों ने लोकतंत्र की बहाली पर बड़े सवालिया निशान लगा दिए हैं। ढाका से लेकर खुलना तक हिंसा फिर से भड़क उठी है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यूनुस सरकार प्रदर्शनकारियों और इंकलाब मंच को संतुष्ट करने में विफल रही, तो बांग्लादेश एक बार फिर बड़े राजनीतिक बदलाव का गवाह बन सकता है।
छात्र संगठनों का कहना है कि जिस ‘सिस्टम’ को बदलने के लिए उन्होंने शेख हसीना को हटाया था, वह सिस्टम अब उनके ही साथियों की जान ले रहा है। पुलिस की नाकामी ने जनता के बीच सरकार की साख को भारी नुकसान पहुंचाया है।






