दीपू दास के भाई ने भारत से लगाई मदद की गुहार, सब छोड़कर आना चाहते हैं भारत (सोर्स-सोशल मीडिया)
Deepu Das Murder Investigation: पड़ोसी देश बांग्लादेश से मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने रूह कंपा दी है। अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को एक उग्र भीड़ ने न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उसे पेड़ से बांधकर जिंदा आग के हवाले कर दिया।
इस जघन्य हत्याकांड के बाद से वहां रह रहे हिंदू समुदाय के बीच दहशत का माहौल है और पीड़ित परिवार अपनी जान बचाने के लिए छटपटा रहा है। मृतक के भाई अपु दास ने अब खुलकर अपनी बेबसी जाहिर की है और भारत सरकार से मदद की अपील की है।
अपु दास ने उस भयानक रात की दास्तां सुनाते हुए बताया कि दीपू का कसूर सिर्फ इतना था कि वह एक अल्पसंख्यक समुदाय से था। उग्र भीड़ ने उसे अचानक घेर लिया और जानवरों की तरह घसीटना शुरू कर दिया।
दीपू हाथ जोड़ता रहा, गिड़गिड़ाता रहा और बार-बार कहता रहा कि “मैंने किसी का अपमान नहीं किया, मैं निर्दोष हूं।” लेकिन मजहबी जुनून में अंधी हो चुकी भीड़ पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने दीपू को लाठियों से तब तक पीटा जब तक वह अधमरा नहीं हो गया और फिर उसे पेड़ से बांधकर जिंदा जला दिया।
इस खौफनाक हत्याकांड के बाद पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अपु दास का कहना है कि पुलिस केवल ‘जांच जारी है’ का रटा-रटाया जवाब दे रही है।
‘ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला तो दर्ज किया है, लेकिन अब तक एक भी मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। हत्यारे आज भी खुलेआम घूम रहे हैं, जिससे पीड़ित परिवार को अपनी जान का खतरा सता रहा है। अपु ने भारी मन से कहा, “हम पुलिस से सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं, पर उनके पास कोई सुराग नहीं है।”
दहशत के साये में जी रहे अपु दास ने अपनी दिली इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि बांग्लादेश अब उनके रहने लायक नहीं बचा है। उन्होंने बताया कि दीपू का एक छोटा बच्चा है जिसका भविष्य अब अंधकार में है।
अपु ने भावुक होते हुए कहा, “अगर हमारे पास साधन और सुविधा होती, तो हम इसी वक्त यह मुल्क छोड़ देते। अगर भारत सरकार हमें मदद दे, तो हम अपना घर-बार सब कुछ यहीं छोड़कर हमेशा के लिए भारत जाना चाहेंगे।” यह बयान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की असुरक्षा की चरम सीमा को दर्शाता है।
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हादी हत्याकांड के बाद से ही बांग्लादेश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। हाल के दिनों में हिंदू मंदिरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ी हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कट्टरपंथी संगठन इस अस्थिरता का फायदा उठाकर हिंदू आबादी को डरा-धमका रहे हैं।
दीपू दास की हत्या महज एक घटना नहीं, बल्कि वहां की बिगड़ती कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के हनन का जीता-जागता प्रमाण है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से भी इस मामले में दखल देने की मांग की जा रही है।