ढाका में छिपा अमेरिकी प्लान, (डिजाइन फोटो)
US interference in Bangladesh: फरवरी 2026 में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ही अमेरिकी एनजीओ की सक्रियता ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। शेख हसीना ने फिर सीआईए साजिश के आरोप दोहराए हैं। फरवरी 2026 में होने वाले बांग्लादेश के आम चुनावों से पहले विदेशी संगठनों की भूमिका पर विवाद गहराता जा रहा है।
रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका के दो गैर-सरकारी संगठन इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI) और नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट (NDI)एक बार फिर देश में सक्रिय हो गए हैं। दोनों संस्थाओं का दावा है कि उनका उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव में सहयोग देना है। हालांकि, बांग्लादेश के कई राजनीतिक दलों और विश्लेषकों का मानना है कि इन संगठनों की मौजूदगी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है।
IRI और NDI का बांग्लादेश से रिश्ता नया नहीं है। ये संस्थाएं 1990 के दशक से ही विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समूहों के साथ काम करती आई हैं। इनके तहत राजनीतिक प्रशिक्षण, लोकतांत्रिक कार्यशालाएं और जनसंपर्क कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
ढाका के अख़बार ‘डेली ऑब्ज़र्वर’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही ये संस्थान खुद को लोकतंत्र समर्थक बताते हैं, लेकिन अन्य देशों में इनकी भूमिका कई बार विवादों के घेरे में रही है।
दोनों संगठनों को फंड अमेरिकी कांग्रेस, यूएसएआईडी (USAID) और नेशनल एंडाउमेंट फॉर डेमोक्रेसी (NED) से मिलता है। इन संस्थाओं ने पहले भी यूक्रेन, सर्बिया, वेनेज़ुएला और म्यांमार जैसे देशों में काम किया है, जहां अक्सर इनकी गतिविधियों को अमेरिका की राजनीतिक रणनीति और प्रभाव विस्तार से जोड़ा गया।
इसी पृष्ठभूमि में अब बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत करने की पहल है या फिर किसी ‘विदेशी एजेंडे’ की शुरुआत?
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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में एक बयान में दावा किया कि 2024 में उनकी सरकार को गिराने के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ था। उन्होंने यहां तक कहा कि पाकिस्तान ने भी इसमें अमेरिका का साथ दिया था।
हसीना सरकार के पूर्व गृह मंत्री असादुज्ज़मान खान कमाल ने भी आरोप लगाया था कि तत्कालीन सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने सीआईए के इशारे पर सरकार तख्तापलट किया।