सजीब वाजेद और मुहम्मद यूनुस, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब शेख हसीना के बेटे और आवामी लीग के रणनीतिकार सजीब वाजेद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अंतरिम सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि फरवरी 2026 का चुनाव लोकतंत्र की वापसी का संकेत नहीं है बल्कि यह लाखों मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने जैसा है।
सजीब का दावा है कि आवामी लीग करीब 40 से 60 फीसदी मतदाताओं की पसंद है और उसे बैन करके यूनुस सरकार ने करोड़ों लोगों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर कर दिया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है कि आगामी आम चुनाव में आवामी लीग हिस्सा नहीं ले सकेगी। सरकार के प्रेस सचिव शफिकुल आलम के अनुसार, पार्टी का पंजीकरण निलंबित है और उसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा हुआ है जिसे हटाने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
Bangladesh’s February 2026 election is not a return to democracy — it’s democracy denied. By banning the Awami League, the party of Sheikh Hasina and the choice of nearly 60% of voters, the Yunus government has deliberately locked millions out of the electoral process. An… — Sajeeb Wazed (@sajeebwazed) December 31, 2025
गौरतलब है कि मई 2025 में सरकार ने एंटी-टेररिज्म एक्ट के तहत आवामी लीग पर रोक लगाई थी जिसका कारण 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को बताया गया था।
सजीब वाजेद के गंभीर आरोप सजीब वाजेद ने यूनुस सरकार के खिलाफ कई महत्वपूर्ण बिंदु उठाए हैं-
• उनका आरोप है कि यूनुस सरकार एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का सामना करने से डर रही है।
• देश की सबसे बड़ी पार्टी को बाहर करना किसी सुधार का हिस्सा नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दी गई सजा है।
• बिना बहुसंख्यक आबादी की भागीदारी के कोई भी चुनाव लोकतांत्रिक या समावेशी नहीं कहला सकता।
• उन्होंने चेतावनी दी कि इस कदम से चुनाव की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े होंगे।
सजीब के इन आरोपों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल पैदा कर दी है। अमेरिका के पांच सांसदों ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए पत्र लिखा है कि पूरी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने से मतदाताओं के अधिकार प्रभावित होते हैं। हालांकि, अंतरिम सरकार ने इन चिंताओं को फिलहाल कानून के तहत लिया गया फैसला बताकर दरकिनार कर दिया है।
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राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आवामी लीग जैसी जमीनी पकड़ वाली पार्टी चुनाव से बाहर रहती है तो न केवल चुनाव की वैधता संदिग्ध होगी बल्कि देश में भविष्य में विरोध-प्रदर्शन और अस्थिरता का खतरा भी बढ़ सकता है। बांग्लादेश के लिए फरवरी 2026 का चुनाव एक बड़ी परीक्षा साबित होने वाला है, जहां लोकतंत्र की मजबूती उसके समावेशी होने पर टिकी है।