बांग्लादेश आर्मी ने रोहिंग्या कॉरिडोर पर दी कड़ी चेतावनी, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
ढाका: बांग्लादेश की सेना ने देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा प्रस्तावित कॉरिडोर के भविष्य को स्पष्ट कर दिया है। म्यांमार के हिंसा से प्रभावित राखिन क्षेत्र को बांग्लादेश से जोड़ने वाले इस कॉरिडोर के संबंध में सेना ने कहा है कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने।
बांग्लादेश सेना के चीफ जनरल वकार उज जमा ने इस कॉरिडोर को Bloody corridor बताया था और इस परियोजना को समाप्त करने की मांग की थी। ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल शफीकुल इस्लाम ने म्यांमार के राखिन प्रांत में कथित मानवीय गलियारा शुरू करने के लिए अंतरिम सरकार की योजना पर असहमति जताई और स्पष्ट किया कि इस मामले में बांग्लादेश की सेना कोई समझौता नहीं करेगी।
सोमवार को बांग्लादेश सेना के मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें कर्नल शफीकुल इस्लाम और ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला जैसे उच्च अधिकारियों ने हिस्सा लिया। ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला ने स्पष्ट किया कि देश की स्वतंत्रता, सुरक्षा या संप्रभुता पर किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाएगा।
5 अगस्त 2024 के बाद से सेना ने देश के हित में सभी के साथ सहयोग और समन्वय बनाए रखा है। यह उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया था और सेना ने देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली थी।
ब्रिगेडियर जनरल नाजिम उद दौला ने जब पत्रकारों से सोशल मीडिया पर सेना और अंतरिम सरकार के बीच मतभेदों की खबरों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कभी-कभी परिवारों में भी गलतफहमियां हो जाती हैं, उसी तरह देश चलाने में भी विभिन्न पक्ष अलग-अलग राय रख सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी प्रकार का विभाजन या संघर्ष हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
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नाजिम उद दौला ने बताया कि सरकार और सेना के बीच गंभीर मतभेद होने की अफवाहें निराधार हैं। मीडिया में इसे जिस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है, वह सही नहीं है। हम सभी सौहार्द और पारस्परिक समझ के साथ काम कर रहे हैं और गलतफहमी की कोई जगह नहीं है।
नाजिम-उद-दौला ने म्यांमार कॉरिडोर को लेकर कहा कि हम अपने बॉर्डर पर किसी भी तरह का समझौता कतई स्वीकार नहीं करेंगे। जब तक हमारे पास थोड़ी भी ताकत रहेगी, हम इस क्षेत्र की रक्षा किसी भी हाल में करेंगे क्योंकि यह हमारा देश है। इसके साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले को सेना और सरकार के बीच टकराव के रूप में न देखा जाए। उनका कहना था कि सरकार और सेना किसी संघर्ष या अलग सोच में नहीं हैं, बल्कि वे साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उनका भरोसा है कि यह सहयोग भविष्य में भी जारी रहेगा।
बांग्लादेश से म्यांमार तक प्रस्तावित राखिन कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य म्यांमार के राखिन राज्य में फंसे लोगों तक मानवीय मदद पहुंचाना है, जहां गृहयुद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के कारण करीब 20 लाख लोग गंभीर भूखमरी का सामना कर रहे हैं। यूनुस इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के दबाव में आगे बढ़ा रहे हैं।
यह इलाका लंबे समय से अस्थिरता का केंद्र रहा है, जहां से लाखों रोहिंग्या लोग पलायन कर चुके हैं। बांग्लादेश के सुरक्षा विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि राखिन में म्यांमार की सेना और अराकान आर्मी के बीच जारी संघर्ष सीमा पार बांग्लादेश तक फैल सकता है। हाल ही में अराकान आर्मी ने बांग्लादेश की सीमा के करीब टेक्नाफ जैसे इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश की है, जिससे सीमा क्षेत्र में तनाव बढ़ा है। अगर यह कॉरिडोर बन जाता है तो म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों का बांग्लादेश में आना और भी सरल हो जाएगा।