बलूचिस्तान के केच जिले में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग (सोर्स- सोशल मीडिया)
Balochistan Villagers Against Firing: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों पर अत्याचार और हिंसा की घटनाओं के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। हाल ही में केच जिले में हुई एक घटना के विरोध में ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी बलों पर ‘बर्बर प्रवृत्ति’ अपनाने का आरोप लगाया है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इस विरोध ने बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह विरोध प्रदर्शन 8 दिसंबर को केच जिले के बलगतार क्षेत्र के सहाकी इलाके में हुई एक घटना के बाद शुरू हुआ। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों ने इस दौरान अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें दुरदाना बलूच नामक एक महिला घायल हो गईं।
इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने गुरुवार को क्वेटा में दोषियों को सख्त सजा देने और ऐसी बर्बर घटनाओं पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हुए विरोध जताया। बलूच विमेन फोरम (Baloch Women Forum) ने इस प्रदर्शन को समर्थन दिया है और कहा है कि राज्य प्रायोजित बर्बरता बलूचिस्तान में एक विनाशकारी प्रवृत्ति बन चुकी है।
बलूच विमेन फोरम ने अपने बयान में कहा कि बलूचिस्तान पिछले कई वर्षों से राज्य प्रायोजित बर्बरता के विनाशकारी दौर से गुजर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें बलूच महिलाओं के जबरन गायब होने, गांवों को बुलडोज करने और नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी जैसी गंभीर घटनाएं शामिल हैं।
संगठन ने विशेष रूप से बलगतार में सुरक्षा के नाम पर जबरन विस्थापन और नागरिकों पर मध्यरात्रि में फायरिंग के गंभीर अपराधों का हवाला दिया। फोरम ने इन सभी नीतियों की कड़ी निंदा करते हुए जनता से इस विरोध को और मजबूती देने की अपील की। संगठन ने बलगतार के नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों को तुरंत रोकने और दोषी सुरक्षाकर्मियों पर समयबद्ध कार्रवाई की मांग की है।
हिंसा और उत्पीड़न के विरोध के बीच, लापता छात्रों का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। इससे पहले, मंगलवार को केच स्थित तुर्बत विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी अपने तीन लापता सहपाठियों- नूर खान नजर, रहमत हल्को और इमरान ताज की जल्द बरामदगी की मांग को लेकर परिसर में एक विरोध रैली निकाली थी। छात्र नेताओं ने बताया कि नूर खान 6 दिसंबर से, रहमत हल्को 5 अक्टूबर से और इमरान ताज 21 जून से लापता हैं।
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पाकिस्तानी अधिकारियों की चुप्पी ने परिवारों और छात्रों के बीच गहरी चिंता और मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर लापता छात्रों को जल्द बरामद नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने बलूचिस्तान में युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग भी की है।