सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इन हमलों को देश के बहुसांस्कृतिक समाज को विभाजित करने के लिए एक कायरतापूर्ण प्रयास बताया है। यह कदम संसद द्वारा हाल ही में पारित हुआ आपराधिक संहिता संशोधन (आतंकवाद के राज्य प्रायोजक) अधिनियम 2025 के अंतर्गत उठाया गया पहला महत्वपूर्ण कदम है। IRGC इस अधिनियम के तहत सूचीबद्ध होने वाली पहली संस्था बन गई है।
गृह मंत्रालय ने बताया कि यह निर्णय खुफिया, सुरक्षा और नीतिगत एजेंसियों के गुप्त आकलन पर आधारित है। नए कानून के तहत अब ऑस्ट्रेलिया में आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में घोषित किसी भी संगठन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा कि यह कदम ईरान के शासन की घृणित गतिविधियों के प्रत्यक्ष जवाब में उठाया गया है। इससे सुरक्षा एजेंसियों को चरमपंथी समूहों को खत्म करने के लिए अधिक अधिकार मिलेंगे।
विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि IRGC की ऑस्ट्रेलिया में सक्रियता विदेशी राष्ट्र द्वारा की गई एक खतरनाक और अभूतपूर्व आक्रमकता है, जिसका हमारे देश में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने इसे ईरान के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई करार दिया। अटॉर्नी जनरल मिशेल रॉलैंड ने भी कहा कि सरकार ने तेजी से प्रभावी कदम उठाकर आतंकवाद रोधी कानूनों को पूरी तरह पक्का किया है।
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इस कार्रवाई से ऑस्ट्रेलिया ने अपने समाज की सुरक्षा और राष्ट्रीय अखंडता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, जो आतंकवाद के खिलाफ उसकी सख्त नीति को दर्शाता है। वही, दूसरी तरह परमाणु समझौते को लेकर पहले ही वैश्वीक प्रतिबंध का सामना कर रहे ईरान के लिए एक बड़े झटके की तरह है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के इस कदम पर ईरान की और अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नही आई है।