भारत दौरे पर पहुंचे अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री मौलवी नूर जलाल जलाली (सोर्स- सोशल मीडिया)
Afghanistan Health Minister India Visit: पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और लगातार बिगड़ते संबंधों के बीच अफगानिस्तान अब सहयोग के लिए भारत की ओर देख रहा है। हालिया घटनाक्रम में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के साथ अपने सभी व्यापारिक रास्ते बंद कर दिए हैं और भारत को एक भरोसेमंद व स्थायी साझेदार मानने का फैसला किया है। इसी बदले हुए रुख का संकेत है कि तालिबान सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री लगातार भारत का दौरा कर रहे हैं, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाया जा सके।
हाल ही में अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री मौलवी नूर जलाल जलाली भारत पहुंचे हैं। उनसे पहले अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी भी भारत आ चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब अफगानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है और देश गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री जलाली भारत से दवाइयों की आपूर्ति, इलाज से जुड़ी सहायता और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग की मांग कर सकते हैं। उनके कार्यक्रम में दिल्ली में भारतीय अधिकारियों के साथ अहम बैठकें शामिल हैं, जिनका उद्देश्य अफगान नागरिकों को बेहतर इलाज, गुणवत्तापूर्ण दवाइयां और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना है। हालांकि, इस दौरे से जुड़ी पूरी जानकारी अभी आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं की गई है।
कुछ महीने पहले अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए थे। अफगान सरकार का दावा था कि पाकिस्तान से घटिया गुणवत्ता वाली और एक्सपायर्ड दवाइयां भेजी जा रही थीं, जिनसे मरीजों की सेहत में सुधार होने के बजाय नुकसान हो रहा था। इन्हीं आरोपों के चलते अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने का फैसला लिया। इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह पहले से ही गहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
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भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। भारत ने शिक्षा, सड़क निर्माण, व्यापार, स्वास्थ्य और मानवीय सहायता जैसे क्षेत्रों में अफगानिस्तान की लंबे समय तक मदद की है। अफगानिस्तान में कई बड़े बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाएं भारत के सहयोग से पूरी हुई हैं। स्वास्थ्य मंत्री जलाली का भारत दौरा इस बात का संकेत देता है कि दोनों देश राजनीति से इतर क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, व्यापार और मानवीय सहायता में अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहते हैं।