बांग्लादेश में भारी हिंसा
ढाका: बांग्लादेश में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। हिंसा प्रदर्शन में एक बार फिर से कई लोगों की जान चली गई। राजधानी ढाका में मौत का मंजर चल रहा है। रविवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। इस झड़प में 93 लोगों की मौत हो गई। जिनमें से 13 पुलिस अधिकारी शामिल हैं और 30 अन्य घायल हुए हैं।
बांग्लादेश में बढ़ते हिंसा को देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी की है। भारत ने अपने नागरिकों को अगली सूचना तक बांग्लादेश की यात्रा न करने की सलाह दी है।
विदेश मंत्रालय की एडवाइजरी
विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा घटनाक्रमों को देखते हुए, भारतीय नागरिकों को अगले आदेश तक बांग्लादेश की यात्रा न करने की सख्त सलाह दी जाती है। केंद्र ने कहा बांग्लादेश में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी आवाजाही सीमित रखने और ढाका में भारतीय उच्चायोग के आपातकालीन फोन नंबर 8801958383679, 8801958383680, 8801937400591 के जरिए संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है।
Advisory for Bangladesh:https://t.co/mKs1auhnlK pic.twitter.com/m5c5Y0Bn8b
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) August 4, 2024
शेख हसीना के इस्तीफे की मांग
समाचार पोर्टल बीडीन्यूज24 की एक खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए। प्रदर्शनकारी असहयोग आंदोलन के पहले दिन राजधानी के साइंस लैब चौराहे पर भी एकत्र हुए और उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए।
प्रदर्शनकारियों को बताया आतंकवादी
बांग्लादेश हिंसा भड़कने पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को कहा कि विरोध के नाम पर तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं। और ऐसे तत्वों से कड़ाई से निपटने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों का सख्ती से दमन करने की अपील करती हूं।
At least 93 killed, over thousands injured as fresh wave of violence grips Bangladesh
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— ANI Digital (@ani_digital) August 5, 2024
200 से ज्यादा लोगों के मौत
कुछ दिन पहले हुए हिंसा प्रदर्शन के बाद के बार फिर से राजधानी ढाका में हिंसा उबलने लगा। पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में अब तक 200 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के कुछ दिनों बाद भड़की है। ये प्रदर्शनकारी कोटा प्रणाली को खतम करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के योद्धाओं के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।