सुनाली खातून। इमेज-सोशल मीडिया
Illegal Intrusion: बांग्लादेश की जेल में मुश्किल भरी 103 रातें बिताने के बाद सुनाली खातून आखिरकार अपने देश-अपने घर लौट आई हैं। सुनाली को शनिवार दोपहर पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब उनके परिवार के चेहरों पर खुशी थी। 6 साल की छोटी आफरीन की हंसी रुक नहीं रही थी, जो 5 महीने बाद अपनी मां और भाई से मिल रही थी।
बीरभूम के मुरारई की रहने वाली प्रवासी निवासी सुनाली को जून में दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में गिरफ्तार कर पड़ोसी देश भेज दिया गया। सबसे मार्मिक बात है कि सुनाली गर्भवती हैं। अस्पताल में मीडिया से बातचीत में उन्होंने दिल छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा कि मुझे बेटा होता है तो उसका नाम देशप्रेम रखूंगी।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 5 दिसंबर की शाम को सुनाली और उनके बेटे साबिर को घुसपैठियों के रूप में बांग्लादेश की जेल में 103 दिन बिताने के बाद मालदा सीमा के रास्ते भारत पहुंचाया गया। उन्हें अब रामपुर हाट अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। यहां उनकी डिलीवरी इस महीने के अंत या अगले महीने की शुरुआत में हो सकती है।
अस्पताल में सुनाली ने जेल के एकांत कोठरी के दर्द का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बांग्लादेशी जेल में रहना तकलीफदेह था। उन्होंने चापई नवाबगंज सुधार गृह में 100 से अधिक दिनों के अनुभव पर कहा कि जेल अधिकारियों ने साबिर को उनके साथ रहने दिया, लेकिन उनके पति दानिश को कहीं और ले जाया गया। सुनाली ने चिंता जताते हुए कहा कि मुझे अपने पति की चिंता है, क्योंकि उन्हें अब तक वापस नहीं लाया गया है।
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अस्पताल में आफरीन बड़े भाई साबिर को कसकर पकड़े हुए थी। जब उसके माता-पिता दिल्ली में गिरफ्तार हुए थे, तब आफरीन मुरारई में दादा-दादी के साथ रह रही थी, इसलिए वह बच गई थी। आफरीन ने मां की ओर इशारा करते हुए खुशी से कहा कि यह मेरी मां हैं। मैं अपनी बेटी और माता-पिता से मिलकर बहुत खुश हूं। परिवार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धन्यवाद किया।