
मुर्शिदाबाद हिंसा, फोटो- सोशल मीडिया
Murshidaabaad Hatya Kaand: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद स्थित जंगीपुर उप-मंडल अदालत ने हरगोबिंदो दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने 13 आरोपियों को उम्रकैद की सजा देते हुए स्पष्ट किया कि यह हत्या व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम थी, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे का।
मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर उप-मंडल अदालत के न्यायाधीश अमिताभ मुखोपाध्याय ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंगलवार को सजा का ऐलान किया। अदालत ने सोमवार को ही 13 व्यक्तियों को हत्या का दोषी करार दे दिया था। सजा पाने वाले दोषियों में दिलदार नादब, अस्माउल नादब, इंजामुल हक, जियाउल हक, फेखरुल शेख, आजफरुल शेख, मुनिरुल शेख, इकबाल शेख, नूरुल शेख, सबा करीम, हजरत शेख, अकबर अली और यूसुफ शेख शामिल हैं। न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में यह साफ किया कि इन हत्याओं के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी, बल्कि यह आपसी रंजिश और व्यक्तिगत प्रतिशोध का मामला था।
राज्य पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) ने इस दोहरे हत्याकांड की गहन जांच की और आरोपियों को एक-एक कर गिरफ्तार किया। इस वर्ष की शुरुआत में एसआईटी ने अदालत में 900 पन्नों का विस्तृत आरोपपत्र (chargesheet) दाखिल किया था। आरोपपत्र के अनुसार, हरगोबिंदो दास और उनके बेटे की हत्या उस समय की गई जब वे अपने गांव जाफराबाद में दंगे रोकने का प्रयास कर रहे थे। एसआईटी ने अपनी जांच में इस पूरे हमले को ‘पूर्व नियोजित’ यानी पहले से सोची-समझी साजिश करार दिया है।
यह घटना अप्रैल महीने में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई थी। भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि वक्फ अधिनियम के विरोध का नाम केवल जनता को गुमराह करने और कानूनी जिम्मेदारी से बचने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा, जहाँ पीड़ित परिवार ने तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा प्रस्तावित मुआवजे को ठुकरा दिया और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दी गई सहायता को स्वीकार किया।
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया था। न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने टिप्पणी की थी कि सांप्रदायिक अशांति को रोकने के लिए राज्य सरकार के प्रयास नाकाफी थे। अदालत ने निर्देश दिया था कि यदि क्षेत्र में समय रहते केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की तैनाती की जाती, तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती। इस मामले का पटाक्षेप दोषियों को उम्रकैद मिलने के साथ हुआ है, जो कानून व्यवस्था और व्यक्तिगत रंजिश के बीच एक महत्वपूर्ण नजीर पेश करता है।






