आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के विरोध में प्रदर्शन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार और हत्या मामले में दोषी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है। इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इसे ‘न्याय का उपहास’ करार दिया है। पार्टी ने कहा कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के संगठनात्मक सह-प्रभारी अमित मालवीय ने फैसले के खिलाफ अपील करने और जांच एजेंसियों से कथित तौर पर सबूत नष्ट करने के लिए कोलकाता के तत्कालीन आयुक्त और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका की जांच करने की मांग की है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में आरोपी संजय रॉय के लिए आजीवन कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना न्याय का उपहास है। फैसले के खिलाफ अपील की जानी चाहिए। उन्होंने पोस्ट में आगे कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपराधी को बचाना बंद करना चाहिए।
वहीं, इस मामले की जांच में शामिल अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए अमित मालवीय ने कहा कि एजेंसियों को सबूतों को नष्ट करने में कोलकाता के तत्कालीन आयुक्त और मुख्यमंत्री की भूमिका की भी जांच करने की आवश्यकता है। न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए।
Life imprisonment and a 50,000-rupee fine for Sanjoy Roy, accused in the RG Kar rape and murder case, is a travesty of justice. The verdict must be appealed. West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee must stop shielding the criminal. Agencies also need to investigate the role of…
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 20, 2025
बता दें कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल अगस्त में एक महिला चिकित्सक की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दोषी करार दिये गए संजय रॉय को सियालदह की अदालत ने सोमवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई। सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास की अदालत ने शनिवार को रॉय को पिछले वर्ष नौ अगस्त को अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के खिलाफ हुए जघन्य अपराध के मामले में दोषी ठहराया था।
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इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश देखने को मिला। इसके साथ ही लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे। न्यायाधीश दास ने कहा कि यह अपराध ‘दुलर्भ से दुर्लभतम’ श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके। अदालत ने राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी।