जया बच्चन ने अपने संबोधन में कहा, “सरकार ने देश को भरोसा दिलाया था कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे। आज भी हमारे जवान और नागरिक मारे जा रहे हैं। जब ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो हमें आत्ममंथन करना होगा कि आखिर चूक कहां हो रही है। मैं आपको बधाई दूंगी कि आपने ऐसे लेखकों को रखा है जो बड़े-बड़े नाम सोचते हैं। लेकिन ये सिंदूर नाम क्यों? जिन महिलाओं के पति मारे गए, उनका सिंदूर उजड़ गया। यह नाम तो उनके घाव पर नमक छिड़कने जैसा है। कृपया इस पर संवेदनशीलता से सोचें। जया बच्चन ने कहा कि नामकरण में भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक संवेदना बेहद जरूरी है। “देश के लिए लड़ने वाले जवानों और उनके परिवारों की भावनाओं का सम्मान जरूरी है। जब आप ऐसे नाम चुनते हैं, तो सोचिए कि इसका असर शहीद की पत्नी और बच्चों पर कैसा होगा।”
जया बच्चन ने अपने संबोधन में कहा, “सरकार ने देश को भरोसा दिलाया था कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे। आज भी हमारे जवान और नागरिक मारे जा रहे हैं। जब ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो हमें आत्ममंथन करना होगा कि आखिर चूक कहां हो रही है। मैं आपको बधाई दूंगी कि आपने ऐसे लेखकों को रखा है जो बड़े-बड़े नाम सोचते हैं। लेकिन ये सिंदूर नाम क्यों? जिन महिलाओं के पति मारे गए, उनका सिंदूर उजड़ गया। यह नाम तो उनके घाव पर नमक छिड़कने जैसा है। कृपया इस पर संवेदनशीलता से सोचें। जया बच्चन ने कहा कि नामकरण में भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक संवेदना बेहद जरूरी है। “देश के लिए लड़ने वाले जवानों और उनके परिवारों की भावनाओं का सम्मान जरूरी है। जब आप ऐसे नाम चुनते हैं, तो सोचिए कि इसका असर शहीद की पत्नी और बच्चों पर कैसा होगा।”