Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में राजनैतिक दंगल का बिगुल बज चुका है। सियासी दलों ने अखाड़े में पहलवानों को उतारना शुरू कर दिया है। कौन-जीतेगा कौन हारेगा इसका फैसला तो 6 और 11 नवबंर को जनता करेगी। वहीं, 14 नवंबर के बाद यह तय होगा कि बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा? ऐसे में नया सीएम कौन होगा, कौन नहीं? इससे हटकर हम आपको पुराने सीएम की एक दिलचस्प कहानी सुनाते हैं। हमारी स्पेशल सीरीज ‘सियासत-ए-बिहार’ की इस किस्त में कहानी सूबे के उस मुखिया की है जिससे इंदिरा गांधी के बेटे खफा हो गए थे…और उन्हें कुर्सी से उतरना पड़ा था। यह कहानी 1980 के दशक की है। तब एक पूर्व सीएम ने कहा था कि बिहार की सियासी नब्ज पर केवल दो लोग पकड़ रखते हैं। इसमें पहला नाम कर्पूरी ठाकुर का थो तो दूसरा जगन्नाथ मिश्र का। मिश्रा पहली बार अप्रैल 1975 में बिहार के तख्त पर विराजमान हुए और कांग्रेस की सियासत की धुरी बन गए।
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में राजनैतिक दंगल का बिगुल बज चुका है। सियासी दलों ने अखाड़े में पहलवानों को उतारना शुरू कर दिया है। कौन-जीतेगा कौन हारेगा इसका फैसला तो 6 और 11 नवबंर को जनता करेगी। वहीं, 14 नवंबर के बाद यह तय होगा कि बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा? ऐसे में नया सीएम कौन होगा, कौन नहीं? इससे हटकर हम आपको पुराने सीएम की एक दिलचस्प कहानी सुनाते हैं। हमारी स्पेशल सीरीज ‘सियासत-ए-बिहार’ की इस किस्त में कहानी सूबे के उस मुखिया की है जिससे इंदिरा गांधी के बेटे खफा हो गए थे…और उन्हें कुर्सी से उतरना पड़ा था। यह कहानी 1980 के दशक की है। तब एक पूर्व सीएम ने कहा था कि बिहार की सियासी नब्ज पर केवल दो लोग पकड़ रखते हैं। इसमें पहला नाम कर्पूरी ठाकुर का थो तो दूसरा जगन्नाथ मिश्र का। मिश्रा पहली बार अप्रैल 1975 में बिहार के तख्त पर विराजमान हुए और कांग्रेस की सियासत की धुरी बन गए।






