(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
अहमदाबाद : गुजरात की एक नामी वास्तुकला कंपनी ऋषिकेश स्थित ऐतिहासिक चौरासी कुटिया आश्रम का नवीनीकरण करेगी। इसे बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश बैंड बीटल्स ने योगाभ्यास किया था और कई मशहूर गीत लिखे व तैयार किये थे। यह आश्रम योग नगरी के नाम से विश्व विख्यात ऋषिकेश शहर के पास राजाजी नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। 1968 में बीटल्स के चार प्रसिद्ध कलाकार, जॉन लेनन, पॉल मेकार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार इस आश्रम में रुके थे।
उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने इस आश्रम के नवीनीकरण का कार्य एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा है। एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड का हेडक्वार्टर गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में है।
हाल की कुछ बड़ी परियोजनाओं का काम भी इसी कंपनी ने किया था। इन परियोजनाओं में सेंट्रल विस्टा, नया संसद परिसर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी योजनाए शामिल हैं। वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व वाली यह कंपनी वर्तमान में अहमदाबाद शहर में गांधी आश्रम के पुननिर्माण पर काम कर रही है।
इस आश्रम की स्थापना मूल रूप से महर्षि महेश योगी ने 1961 में एक ध्यान केंद्र के तौर पर की थी। यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क के अंदर 7.5 हेक्टेयर वन भूमि पर फैला हुआ है। चौरासी कुटिया आश्रम को लोकप्रियता तब मिली जब 1968 में इस ब्रिटिश बैंड ने यहां लगभग तीन महीने का समय बिताया था। बैंड के सदस्यों से इस दौरान यहां योग और ध्यान का अभ्यास किया और लगभग 30 से ज्यादा गीतों को लिखा। बैंड के इस प्रवास को उनके गीत लेखन के लिए सबसे ज्यादा रचनात्मक अवधि माना जाता है।
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इस योजना को लेकर कंपनी के प्रोजक्ट हेड आनंद पटेल बताया कि योजना की अनुमानित लागत 90 करोड़ है। आश्रम के नवीनीकरण का काम इस साल दिसंबर माह तक शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट को पूरान होने में लगभग डेढ़ साल का समय लग सकता है। पीटीआई-भाषा से बात करते हुए पटेल ने कहा, ‘‘यह उत्तराखंड सरकार की परियोजना है। जहां तक हमें पता है, केंद्र सरकार ने नवीनीकरण का यह विचार तब सामने रखा जब पिछले साल ऋषिकेश में जी-20 बैठक में भाग लेने वाले कई विदेशी प्रतिनिधियों ने इस स्थान के बारे में पूछताछ की और इसे देखने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद केंद्र ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया कि वह देखे कि क्या इसे विकसित किया जा सकता है या नहीं।”
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इस परियोजना को लेकर पटेल ने आगे बताया कि चूंकि यह आश्रम जंगल के अंदर स्थित है, इसलिए यह कम प्रभाव वाला पर्यटन स्थल बना रहेगा, जहां कम से कम शोर और अन्य गतिविधियां होंगी। क्योंकि यह एक नेशनल पार्क के अंदर स्थित है इसलिए यहां शोर और मानवीय गतिविधियां बढ़ने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थान 50 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है और हम इसके मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन किए बिना इसकी मरम्मत करेंगे, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसके मूल स्वरूप का अंदाजा हो सके।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)