सीएम योगी आदित्यनाथ व पीएम मोदी (डिजाइन फोटो)
IAS Manoj Kuamr Singh: बीते कल यानी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में अफसरशाही की सबसे ताकतवर कुर्सी पर एसपी गोयल विराजमान हो गए। मुख्य सचिव से पूर्व मुख्य सचिव हो चुके मनोज सिन्हा को सेवा विस्तार नहीं मिल सका है। जिसके बाद उन्हें एक्सटेंशन न मिलने के कारणों की खोज शुरू हुई। इस खोज में जो कुछ निकला वह हैरान कर देने वाला है।
वैसे तो उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है। यानी केन्द्र में भी बीजेपी और यूपी में भी। योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार यहां के मुखिया की कुर्सी संभाल रहे हैं। इन सबके बावजूद योगी की मंशा पर पानी फेरते हुए केन्द्र ने मुख्य सचिव मनोज सिंह को सेवा विस्तार नहीं दिया। जिसके चलते न केवल ब्यूरोक्रेसी, बल्कि सियासी गलियारों में कुछ सवाल कुलांचे भरते हुए नजर आ रहे हैं।
एक तरफ उत्तर प्रदेश में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की आकांक्षा के अनुरूप मनोज सिंह को सेवा विस्तार नहीं मिला। दूसरी तरफ जून के महीने में छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन को तीन महीने का सर्विस एक्सटेंशन दे दिया जा चुका है। यहां भी बीजेपी की ही सरकार है।
छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र में भी पिछले साल मुख्य सचिव को केंद्र की तरफ से सेवा विस्तार से नवाजा गया था। यहां सीनियर आईएएस अधिकारी नितिन करीर को एक अप्रैल से 30 जून 2024 तक बतौर मुख्य सचिव तीन माह के सेवा विस्तार को केन्द्र की मोदी सरकार ने हरी ग्रीन सिग्नल दिया था। यहां भी बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सत्ता में थी और है भी।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने तत्कालीन मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को एक मार्च 2024 को छह महीने का सेवा विस्तार देने की मंजूरी दी थी। पिछले साल ही केंद्र ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार को भी तीन महीने का दूसरा सेवा विस्तार दिया था। इससे पहले नरेश नवंबर 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विस्तार को हरी झंडी दे दी।
मौजूदा वक्त में सबसे ज्यादा यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की प्रबल संस्तुति और पत्र के बावजूद मनोज सिंह को सेवा विस्तार न मिलना इसलिए भी चर्चा का विषय है, क्योंकि इससे पहले पूर्व चीफ सेक्रेटरी IAS दुर्गा शंकर मिश्र को तीन बार नियमों के विपरीत केन्द्र ने सर्विस एक्सटेंशन दिया था। मिश्र की गिनती पीएम मोदी के भरोसेमंद और खास अफसरों में की जाती है।
अमित शाह और दुर्गा शंकर मिश्रा (सोर्स- सोशल मीडिया)
उत्तर प्रदेश में अधिकारियों को सेवा विस्तार न मिलने की बाद केवल चीफ सेक्रेटरी तक ही सीमित नहीं है। दो महीने पहले यानी मई में डीजीपी के प्रकरण में भी केंद्र ने यूपी सरकार की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया था। 31 मई को रिटायर हुए डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार देने के लिए यूपी सरकार ने केंद्र लेटर लिखा था। इस पर भी सहमति नहीं बन सकी।
इसके इतर अगले माह 30 जून को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति ने गुजरात के डीजीपी विकास सहाय को छह माह का सेवा विस्तार दिया गया है। इन वजहों को ध्यान में रखें तो सवालों का उठना लाजमी है। इस यक्ष प्रश्न के जवाब में केवल एक तर्क हासिल हुआ है।
कहा जा रहा है कि पिछले कुछ वक्त में पूर्व मुख्य सचिव मनोज सिंह के खिलाफ तमाम शिकायतें मिली थीं। इन शिकायतों को यूपी सरकार के पास निस्तारण के लिए भेजा गया था। मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी सीएमओ के कन्धों पर रहती है।
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इस सब के बावजूद यूपी सरकार ने मुख्य सचिव मनोज सिंह को सेवा विस्तार देने के लिए केंद्र को पत्र लिख दिया। यह पत्र केन्द्र में बैठे तमाम जिम्मेदारों को न केवल नागवार गुजरा, बल्कि ब्यूरोक्रेसी और सियासी हल्कों में चर्चा का विषय भी बना था। मनोज सिंह को सेवा विस्तार ना दिये जाने एक कारण यह माना जा रहा है।