पीएम मोदी, हनुमान मंदिर का कॉरिडोर (फोटो- सोशल मीडिया)
Prayagraj News: कुंभनगरी प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन से कुछ दिन पहले संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर में कॉरिडोर बनाया गया था। इस कॉरिडोर में 40 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। अब इस कॉरिडोर के निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आ रही है, क्योंकि पहली बाढ़ भी कॉरिडोर झेल नहीं पाया। इसमें लगे पत्थर दिवार से अपने आप अलग हो रहे हैं। ऐसी स्थिति कॉरिडोर निर्माण के महज कुछ महीनों में ही उत्पन्न हो गई है।
कॉरिडोर के पत्थरों के उखड़ने से निर्णाण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है। इस महात्वाकांक्षी परियोजना के तहत 11589 वर्ग मीटर भूमि अधिग्रहित की गई थी। इसमें 535 वर्ग मीटर में बड़े हनुमान जी की परिक्रमा के लिए पथ निर्माण होना है। जबकि 2184 वर्ग मीटर में कॉरिडोर का विस्तार किया जाना है।
बड़े हनुमान मंदिर के कॉरिडोर निर्माण कार्य का पहला फेज महाकुंभ से पहले पूरा हो गया था। इसका उद्घटान 13 दिसंबर 2024 को पीएम मोदी ने किया था। काफी धूमधाम से उद्घाटन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। कॉरिडोर के दूसरे फेज का निर्माण कार्य अभी चल रहा है। पहली ही बाढ़ में इसकी दुर्दशा हो गई है।
संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान जी का मंदिर हर साल बारिश के मौसम में लगभग डूब जाता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इसके बाद भी लोक निर्माण विभाग के निर्माण में मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया। दिवारों से पत्थरों का उधड़ना दर्शाता है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ तो हर साल आती है और संगम क्षेत्र में तो यह एक आम बात है, फिर भी अगर कॉरिडोर जैसा स्थायी निर्माण पहली ही बाढ़ में जवाब दे दे, तो यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला है।
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गौरतलब है कि यूपी सरकार ने महाकुंभ जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को ध्यान में रखते हुए संगम और उसके आस-पास अधोसरंचना को मजबूत करने के उद्देश्य से कई परिजनाओं को मंजूरी दी थी। इसमें बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर प्रमुख था। इसका उद्देश्य भक्तों की भीड़ को कंट्रोल करना और दर्शन को सुगम बनाना था। हालांकि निर्माण कार्य का चंद महीनों में ही खराब हो जाना पूरे प्रोजेक्ट पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।