सुरेश खन्ना, सीएम योगी, माता प्रसाद पांडेय (फोटो-सोशल मीडिया)
UP News: यूपी विधानसभा में दूसरे दिन फतेहपुर मकबरे पर भगवा झंडा लहराने को लेकर जमकर हंगामा हुआ। काफी कोशिश के बाद भी सदन ऑर्डर में नहीं आया, जिसके बाद विधानसभा की कार्यवाही 1.50 मिनट पर बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने फतेहपुर मकबरे में भगवा झंडा फहराने और तोड़-फोड़ का मामला उठाया।
सपा नेता पांडेय ने कहा कि संगठित तरीके से एक पार्टी के नेता ने ऐलान किया कि ये मकबरा हिंदुओं का है। सुरक्षा के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी, लेकिन भीड़ अंदर घुस गई। सौहार्द बिगाड़ने का काम चल रहा है। मुस्लिम मदरसों और मकबरों को तोड़ो, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़े।
माता प्रसाद पांडेय ने सदन में कहा कि भाजपा प्रदेश में दंगा कराना चाहती है। हम दंगाई सरकार के खिलाफ झुकने वाले नहीं है। पुलिस के दम पर सरकार नहीं चलेगी। इस दौरान बड़ी संख्या में सपा विधायक वेल में पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। सपा विधायकों ने सीएम योगी पर तंजिया लहजे में ” दंगाईयों को मिट्टी में मिलाओ” “बाबा का बुलडोजर कहां गया” जैसे नारे लगाए।
विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय का जवाब देने के लिए मंत्री सुरेश खन्ना खड़े हुए। उन्होंने कहा कि फतेहपुर के बवाल में सरकार शामिल नहीं है। मैं आपकी बातों का खंडन करता हूं। उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है। कल ही 10 नामजद व 160 अज्ञात के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज कर लिया था। इस दौरान खन्ना ने आरोपियों का नाम पढ़ना शुरू किया, तभी मुख्यमंत्री योगी ने उनका हाथ पकड़ कर रोक दिया। इस माता प्रसाद ने कहा कि भाजपा सदन नहीं चलाने देना चाहती है। ये दंगा करने वालों को बचा रही है। भाजपा प्रदेश को दंगे में झोकना चाहती है। सपा नेता ने कहा कि फतेहपुर में भीड़ जुटाने वाले भाजपा नेता का FIR में नाम नहीं है। पांडेय का इशारा फतेहपुर भाजपा जिलाध्यक्ष की तरफ था।
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गौरतलब है कि फतेहपुर के डाक बंगला चौराहे पास स्थित अब्दुल समद मकबरे पर हिंदू सगंठनों ने चढ़ाई कर दी थी। इसमें बजरंग दल, हिंदू महासभा सहित अन्य संगठनों के करीब 2 हजार कार्यकर्ता मकबरे को मंदिर बताकर तोड़ फोड़ करने लगे। इस दौरान एक युवक ने मकबरे की छत पर चढ़कर भगवा झंडा लहराने लगा। उसने झंडा गुबंद में बांध दिया। दरअसल इस मकबरे पर काफी पहले से विवाद चल रहा है। हिंदू सगंठनों का दावा है कि इस स्थान पर एक हजार साल पहले ठाकुर जी का मंदिर था। वहीं मुस्लिम समुदाय का मानना है कि यह शुरु से ही मकबरा है। यह उनकी आस्था का प्रतीक है।