सीएम योगी, बृजभूषण शरण सिंह (फोटो-सोशल मीडिया)
लखनऊः उत्तर प्रदेश में बीते रोज सोमवार को एक बड़ी सियासी घटना देखने को मिली, जब बाहुबली व पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह 5KD यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चौखट पर पहुंचे। बृजभूषण और सीएम योगी की मुलाकात करीब 15 मिनट चली। इसके बाद से कयास लगाए गए कि दोनों नेताओं में करीब 31 महीने से चला आ रहा मनमुटाव खत्म हो गया। बृजभूषण से इस मुलाकात को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। हालांकि अब उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात पर खुल कर बोला है।
बृजभूषण शरण सिंह ने पत्रकारों से कहा कि हां ये सही है कि वो 31 महीने बाद योगी जी मिले। इसमें कोई राजनीति नहीं है। बस अपना गिला शिकवा शेयर किया। उन्होंने कहा के वैसे मेरे संबंध मुख्यमंत्री से 56 साल पुराने हैं। गौरतलब है कि कई मौकों पर बृजभूषण सीएम योगी को अपना मित्र बताते रहे हैं।
‘मैं गया नहीं था मुझे बुलाया गया था’
बृजभूषण शरण सिंह का सीएम आवास जाना उनके सियासी सरेंडर के तौर पर भी देखा गया, लेकिन मुलाकात पर बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि जीवन में उतार चढ़ाव लगा रहता है। 2023 जनवरी में मुझपर जब आरोप लगा तब से मेरी और मुख्यमंत्री की कोई बात नहीं हुई। जब मुझपर आरोप लगा तभी मैंने तय कर लिया था कि ये मेरी लड़ाई है और इसे मैं अकेले लड़ूंगा। उन्होंने आगे बताया कि जब 2023 में मेरे इलाके में सीएम का कार्यक्रम रद्द हुआ था, तभी से मैं उनसे दूर हूं। उन्होंने कहा कि मैंने तय किया था कि जब वो मुझे बुलाएंगे तब जाउंगा। अब उन्होंने मुझे बुलाया तो मैं मिलने पहुंच गया।
किसके इशारे पर हुई ये मुलाकात
31 महीने बाद दोनों नेताओं की मुलाकात को पॉलिटकल डेवलपमेंट की तरह देखा जा रहा है। इसके पीछे लोकसभा चुनाव का रिजल्ट और आगामी 2027 का विधानसभा चुनाव बताया जा रहा है। ये भी कहा जा रहा है कि यह मुलाकात भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हुई है। क्योंकि इससे पहले सीएम योगी दिल्ली में नरेंद्र मोदी, अमित शाह, और जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
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बृजभूषण से मुलाकात का कारण सियासी?
अवध और पूर्वांचल के दो दिग्गज नेताओं की बीच मुलाकात तो हो गई, लेकिन बृजभूषण की बातों से नहीं लग रहा है कि सब कुछ इतनी जल्दी ठीक हो जाएगा। बृजभूषण और सीएम योगी को जानने वाले नेताओं का मानना है कि दोनों नेता तुनक मिजाज के हैं। ऐसे में यह मुलाकात सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक एकजुटता का संदेश मात्र है।