बृजभूषण शरण सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
लखनऊ: गोंडा में पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोर्ट ने 35 साल पुराने मामले में कार्रवाई करते हुए 500 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला सितंबर 1990 का है, जब बृजभूषण सिंह ने तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई के दौरान इनमें से दो आरोपियों उग्रसेन सिंह और रमेश चंद्र की मौत हो गई, जबकि तीसरे आरोपी वीरेंद्र मिश्रा के खिलाफ बृजभूषण सिंह ने गवाही नहीं दी।
बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में अपने बयान से पलट गए। बचाव पक्ष के वकील ने बहस की और वीरेंद्र मिश्रा को कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने झूठी गवाही और समर्थन के मामले को लेकर प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया था।
17 सितंबर 2024 को मुकदमा दर्ज कर उन्हें पेश होने के लिए समन भेजा गया था, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में पेश नहीं हो रहे थे। पेश न होने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया था।
इसके बाद बृजभूषण सिंह ने कोर्ट में माफीनामा दाखिल कर केस बंद करने की अपील की। कल कोर्ट ने बृजभूषण का माफीनामा स्वीकार करते हुए गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया। आज जुर्म स्वीकार करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ 500 रुपए का जुर्माना लगाया और पूरा केस बंद कर दिया।
एडीजे प्रथम राजेश कुमार तृतीय की कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर बृजभूषण सिंह यह जुर्माना अदा नहीं करते हैं तो उन्हें तीन दिन की सजा काटनी होगी। यह केस करीब साढ़े तीन दशक पुराना है, जो लंबे समय से कोर्ट में लंबित था। सालों से चल रही सुनवाई के दौरान दो आरोपियों की मौत हो जाने से केस की दिशा बदल गई।
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अंत में कोर्ट को साक्ष्य प्रस्तुत न करने और कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर शेष आरोपियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना पड़ा। इस फैसले के बाद यह पुराना केस एक बार फिर चर्चा में आ गया है। हालांकि बृजभूषण सिंह द्वारा जुर्माना अदा करने के बाद केस पूरी तरह से खत्म हो गया है।