सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: बांके बिहारी कॉरिडोर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर योजना के लिए मंदिर के फंड का इस्तेमाल करके जमीन खरीदने की अनुमति दी है। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवंबर, 2023 के आदेश को इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि उत्तर प्रदेश को प्रस्तावित योजना के मुताबिक मंदिर के आसपास की भूमि खरीदने के लिए मंदिर निधि का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते कि अधिग्रहित भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर हो।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को संशोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक स्थापित तथ्य है कि ऐतिहासिक मंदिर पुरानी संरचनाएं हैं। इस प्रकार के ऐतिहासिक मंदिरों को उचित रखरखाव और अन्य रसद सहायता की आवश्यकता होती है और इस तथ्य के साथ यह भी जोड़ा गया है कि बड़ी संख्या में मंदिरों में रिसीवरों की नियुक्ति दशकों से की जा रही है, जिसका मूल रूप से एक अस्थायी उपाय के रूप में इरादा था।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि रिसीवर नियुक्त करते समय संबंधित न्यायालय यह ध्यान में नहीं रख रहे हैं कि मथुरा और वृंदावन, वैष्णव संप्रदायों के लिए दो सबसे पवित्र स्थान हैं और इसलिए वैष्णव संप्रदायों के व्यक्तियों को रिसीवर के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह हाईकोर्ट के उन निर्देशों को सही अर्थ देगा, जो पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव, ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों से संबंधित हैं और अधिवक्ताओं को रिसीवर के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना के लिए मंदिर की निधि के उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि यह धन मंदिर के रखरखाव और धार्मिक कार्यों के लिए है, न कि सरकारी परियोजनाओं के लिए। कोर्ट ने परियोजना के लिए सरकार को अपने बजट से धन आवंटित करने के निर्देश दिए थे।