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लखनऊ: भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने शनिवार को लखनऊ में अपना जन्मदिन मनाया। होटल हयात में आयोजित पार्टी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव शामिल हुए। उन्होंने खेसारी का हाथ पकड़कर केक कटवाया। उन्होंने कहा- खेसारी अच्छे गायक हैं। हम सब उनके लिए इकट्ठे हुए हैं। खेसारी का नाम यूपी-बिहार ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में गूंजता है।
अखिलेश के खेसारी के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने के बाद राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वजह यह भी है कि 2 महीने में खेसारी और अखिलेश के बीच यह 5वीं मुलाकात है। कयास लगाए जा रहे हैं कि खेसारी सपा में शामिल हो सकते हैं? अगर ऐसा होता है तो 2027 के चुनाव में सपा को पूर्वांचल में फायदा मिल सकता है।
भाजपा और सपा की सियासी जंग में खेसारी नया मोहरा बनते दिख रहे हैं। अखिलेश ने खेसारी के बहाने बीजेपी के ‘पॉवर’ को कम करने के साथ पूर्वांचल और बिहार में सपा की सियासी पकड़ मजबूत करने की नई रणनीति का भी संकेत दिया है। जो कि विरोधियों को टेंशन दे सकती है।
लोकप्रिय कलाकार खेसारी लाल यादव जी के जन्मदिन पर बधाई और उनके गीत-संगीत और अभिनय की नई ऊंचाइयों के लिए शुभकामनाएँ!
कला लोगों को जोड़ती है और समाज में सौहार्द का ख़ुशनुमा माहौल बनाती है। सच्ची कला सकारात्मक होती है, इसीलिए कलाकारों का साथ हम सबमें हमेशा नई आशा का संचार करता है। pic.twitter.com/MT5XWdHt3j
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 15, 2025
सियासी जानकारों का कहना है कि खेसारी भोजपुरी के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं। इसलिए अखिलेश उन्हें अपने राजनीतिक अभियान में शामिल कर सकते हैं। यह रणनीति सीधे तौर पर बीजेपी के भोजपुरी स्टार नेताओं, जैसे मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और पॉवर स्टार पवन सिंह को टक्कर देने की हो सकती है।
यूपी और बिहार की 45 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर भोजपुरी सिनेमा और संगीत का सीधा असर है। ऐसे में अखिलेश की योजना खेसारी की लोकप्रियता का फायदा उठाकर बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की हो सकती है। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं। खेसारी की लोकप्रियता के हिसाब से अखिलेश पूर्वांचल और बिहार दोनों जगहों पर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर सकते हैं।
यूपी-बिहार की राजनीति पर भोजपुरी सिनेमा का गहरा असर है। यही वजह है कि बीजेपी 2014 से ही भोजपुरी कलाकारों को अपने पाले में ला रही है। मनोज तिवारी को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया। निरहुआ को आजमगढ़ से लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया और पवन सिंह को बिहार में स्टार प्रचारक के तौर पर उतारा गया। अब अखिलेश भी इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
खेसारी की छवि एक संघर्षशील और मेहनती कलाकार की रही है, जो आम आदमी से सीधे जुड़ते हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने उन्हें लुभाना शुरू कर दिया है। बड़ा सवाल यह है कि क्या खेसारी सपा में शामिल होंगे या फिर सिर्फ स्टार प्रचारक की भूमिका में ही रहेंगे?
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माना जा रहा है कि अगर सपा उन्हें 2027 में आजमगढ़ या पूर्वांचल की किसी सीट से टिकट देती है तो वह भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। बिहार में राजद से गठबंधन के तहत उन्हें भारत गठबंधन का प्रचारक भी बनाया जा सकता है। खेसारी का भोजपुरी युवाओं और मजदूर वर्ग पर बड़ा प्रभाव है, जिसे सपा भुनाने की कोशिश कर सकती है। भाजपा के पास पहले से ही भोजपुरी सिनेमा से जुड़े कई बड़े चेहरे हैं। लेकिन, खेसारी इस लिस्ट में नया मोड़ ला सकते हैं।
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में भाजपा का दबदबा रहा है। मनोज तिवारी, निरहुआ, रवि किशन और पवन सिंह जैसे बड़े भोजपुरी सितारे भाजपा के पक्ष में रहे हैं। ऐसे में अखिलेश ने पिछले दो महीने में खेसारी से पांच बार मुलाकात कर संकेत दे दिया है कि सपा अब भाजपा की भोजपुरी ब्रिगेड को चुनौती देने के लिए तैयार है।