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सिंहाचल पहाड़ी में है ऐसा प्राचीन मंदिर, जहां अक्षय तृतीया पर होता है नरसिंह भगवान का खास श्रृंगार

भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है आंध्रप्रदेश का ये एक प्राचीन मंदिर जहां हर साल भक्तों का तांता लगा होता है। सिंहाचल क्षेत्र 11वीं शताब्दी में बने विश्व के प्राचीन मंदिरों में से एक है। सिंहाचलन मंदिर एक मशहूर मंदिर है जो भगवान विष्णु के अवतारों में से एक वराह नरसिंह अवतार को समर्पित है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Aug 16, 2024 | 09:20 AM

सिंहाचलन मंदिर (सौजन्य-एक्स)

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नवभारत डेस्क: सिंहाचल क्षेत्र 11वीं शताब्दी में बने विश्व के प्राचीन मंदिरों में से एक है। सिंहाचलन मंदिर एक मशहूर मंदिर है जो भगवान विष्णु के अवतारों में से एक वराह नरसिंह अवतार को समर्पित है। इस मंदिर को लोग श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह मन्दिर के नाम से भी जानते है। ये मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के विशाखपटनम के पास पूर्वी घाट की सिंहाचलम पहाड़ियों में 300 मीटर की ऊंचाई में स्थित है।

इस मंदिर की कई खास विशेषताएं है जिनमें से एक है सिर्फ अक्षय तृतीया को छोड़कर बाकी दिन यह मूर्ति चन्दन से ढकी रहती है। जिससे यह मूर्ति एक शिवलिंग की तरह दिखाई देती है।

अक्षय तृतीया के पवित्र दिन (वैशाख मास) यहां विराजमान श्री लक्ष्मीनरसिंह भगवान का चन्दन से श्रृंगार किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान की प्रतिमा का वास्तविक स्वरूप केवल इसी दिन देखने मिलता है।

यह भी पढ़ें- एकमात्र मंदिर जहां श्रीराम को राजा और भगवान दोनों रूपों में पूजा जाता है, यहां दर्शन करना न भूले

सिंहाचल की विशेषता

‘सिंहाचल’ शब्द का अर्थ है सिंह का पर्वत। यह पर्वत भगवान विष्णु के चौथे अवतार प्रभु नरसिंह का निवास स्थान माना जाता है। माना जाता है कि यहीं वह स्थान है जहां पर भगवान नरसिंह अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए अवतरित हुए थे। यहां के पुराण के अनुसार भक्त प्रहलाद ने ही इस स्थान पर नरसिंह भगवान का पहला मंदिर बनवाया था।

सिंहाचलन मंदिर (सौजन्य-एक्स)

खास बात

मंदिर तक चढ़ने के लिए सीढ़ी का मार्ग है, जिसमें बीच-बीच में तोरण बने हुए हैं। शनिवार और रविवार के दिन इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां दर्शन करने के लिए सबसे योग्य समय अप्रैल से जून तक का होता है। यहां पर मनाए जाने वाले खास त्यौहार हैं वार्षिक कल्याणम (चैत्र शुद्ध एकादशी) और चन्दन यात्रा (वैशाख माह का तीसरा दिन)।

कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग –

विशाखपटनम, हैदराबाद से 650 और विजयवाड़ा से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिंहाचलम मंदिर पहुंचने के लिए नियमित रूप से हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, चेन्नई और तिरुपति से बसे सेवा उपलब्ध होती है। जिससे आप आसानी से यहां पहुंच सकते है।

रेल मार्ग –

विशाखापटनम चेन्नई-कोलकाता रेल लाइन के लिए मुख्य स्टेशन माना जाता है। ये स्टेशन नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद से भी सीधे जुड़ा हुआ है।

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हवा मार्ग-

सिंहाचलम हैदराबाद, चेन्नई, कोलकता, नई दिल्ली और भुवनेश्वर से वायु मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए हफ्ते में पांच दिन फ्लाइट यहां के लिए उड़ान भरती है। जोकि चेन्नई, नई दिल्ली और कोलकाता से उपलब्ध है।

Visakhapatnam ancient temple of narsinha god situated in simhachalam hill best place to visit

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Published On: Aug 16, 2024 | 09:15 AM

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