गणेश चतुर्थी के अवसर पर आज हम आपको उस गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो भारत में नहीं है और न ही इसकी पूजा हिंदू समुदाय करता है। भगवान गणेश की पूजा भारत के अलावा कई विदेशी देशों में की जाती है। भारत में कहलाने वाले श्री गणेश को विदेशों में अलग-अलग नाम से पूजा जाता है। आज जिस गणेश मंदिर की हम बात कर रहे है इसका नाम है कांगितेन।
कांगितेन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
जापान में श्री गणेश को कांगितेन कहा जाता है। कांगितेन ये एक बड़ा मंदिर है जोकि क्योटो शहर में स्थित है। इस मंदिर को 1372 ईस्वी में सम्राट गिकोगन ने स्थापित किया था। इनका स्वरूप भगवान श्रीगणेश से काफी ज्यादा मिलता है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान श्रीगणेश का प्रभाव कहां-कहां तक फैला हुआ है।
बता दें कि जापान में स्थित इस मंदिर की प्रतिमा कांगितेन जापान के बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखती है। वैसे तो कांगितेन कई रूपों में पूजे जाते है, लेकिन इनका दो शरीर वाला स्वरूप सबसे अधिक लोकप्रिय है। इतना ही नहीं यहां आपको श्री गणेश के चार भुजाओं वाले स्वरूप का भी वर्णन भी देखने मिलेगा।
इसके साथ ही टोक्यो के असाकुसा में एक बेहद लोकप्रिय मंदिर स्थापित है, जिसे 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का नाम मात्सुचियामा शोडेन है, जिसे होनरियोइन नाम से भी जाना जाता है। ये सुप्रसिद्ध मंदिर असाकुसा में पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मात्सुचियामा शोडेन मंदिर भी कांगितेन को समर्पित है।
हिंदू देवता श्री गणेश की तरह ही जापान के कांगितेन को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जोकि श्रीगणेश के भारतीय नामों की तरह है। हिंदू में विनायक को जापानी में बिनायक के रूप में जाना जाता है वैसे ही गणबाची और गणवा भी उनके नाम है जो हिंदू नामों से काफी मेल खाते है।
यहां की इन प्रतिमाओं के दर्शन करे तो आपको यह पता चलेगा और ऐसा लगेगा कि ये मूर्तियां इस समय को दर्शाती है, जब हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म किसी वजह से आपस में जुड़े थे। यहां भी गणेश बिनायक विपत्तियों को हरने के लिए अच्छे भाग्य, समृद्धि , सभी को सफलता और अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करने वाले माने जाते हैं।