Ozone Layer हो रहा ठीक। (सौ. AI)
Ozone Layer: अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में बना विशाल छेद अब पहले की तुलना में काफी छोटा हो गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह कमी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ओजोन परत लगातार ठीक हो रही है और पृथ्वी की सुरक्षा ढाल धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। यूरोपियन वैज्ञानिकों की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में यह छेद 2019 के बाद सबसे छोटा रहा, जो पर्यावरण के लिए बेहद सकारात्मक खबर है।
ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाती है। यही परत इंसानों, जानवरों, फसलों और पर्यावरण को अत्यधिक UV किरणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखती है। वैज्ञानिकों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओजोन-नाशक रसायनों पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों का प्रभाव अब साफ दिख रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का अनुमान है कि 2066 तक ओजोन परत 1980 के मूल स्तर पर वापस आ सकती है।
NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने पुष्टि की है कि 2025 में अंटार्कटिका के ऊपर बना ओजोन छेद 1992 के बाद सबसे छोटे पांच छेदों में शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में ओजोन परत पर कई कारणों से दबाव बढ़ा था, विशेषकर 2022 में हंगा टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट, जिसने वातावरण में बड़ी मात्रा में पानी और गैसों को पहुंचाया। NASA के एक वैज्ञानिक के मुताबिक “छेद देर से बन रहे हैं और जल्दी खत्म हो रहे हैं, जो रिकवरी का संकेत है।”
यूरोपियन यूनियन की कोपरनिकस मॉनिटरिंग सर्विस ने बताया कि सितंबर 2025 में ओजोन छेद का अधिकतम विस्तार 21 मिलियन वर्ग किलोमीटर रहा। यह 2023 के 26 मिलियन वर्ग किलोमीटर के मुकाबले काफी कम है। लगातार दूसरे वर्ष ओजोन परत में सकारात्मक सुधार देखा गया है।
कोपरनिकस के डायरेक्टर लॉरेंस रूइल ने कहा, “यह सुकून देने वाला संकेत है और दर्शाता है कि ओजोन-नाशक पदार्थों पर लगाए गए वैश्विक प्रतिबंध सही दिशा में काम कर रहे हैं।”
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ओजोन परत में कमी आने से पृथ्वी पर अधिक UV किरणें पहुंचती हैं, जिससे
ओजोन परत के धीरे-धीरे ठीक होने से यह साबित होता है कि वैश्विक प्रयास, वैज्ञानिक शोध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध वास्तविक असर दिखा रहे हैं। आने वाले वर्षों में यदि यही रफ्तार बनी रही, तो पृथ्वी की सुरक्षा ढाल एक बार फिर पहले जैसी मजबूत हो सकती है।