Digital Currency और Cryptocurrency में क्या है अंतर। (सौ. Freepik)
नवभारत टेक डेस्क: आज की बदलती दुनिया में जहाँ तकनीक तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वहीं वित्तीय लेनदेन के तरीके भी डिजिटल होते जा रहे हैं। ऐसे में डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी जैसे शब्द आम हो गए हैं, लेकिन कई लोग अब भी इनके बीच का फर्क नहीं समझ पाते। आइए जानते हैं, इन दोनों में क्या अंतर है और किसका क्या भविष्य हो सकता है।
डिजिटल करेंसी किसी देश की सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की गई आधिकारिक मुद्रा होती है, जो केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होती है। उदाहरण के तौर पर, भारत में CBDC (Central Bank Digital Currency) यानी डिजिटल रुपया, डिजिटल करेंसी का एक रूप है। यह करेंसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती है और इसका उपयोग सामान्य लेनदेन जैसे कि खरीदारी, भुगतान और सेवाओं में किया जा सकता है।
“डिजिटल करेंसी पूरी तरह से वैध और नियंत्रित होती है।”
क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा होती है, जो किसी भी सरकार या सेंट्रल अथॉरिटी के नियंत्रण में नहीं होती। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। उदाहरण: Bitcoin, Ethereum, Dogecoin आदि। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आमतौर पर निवेश, अंतरराष्ट्रीय ट्रांज़ैक्शन और तकनीकी परियोजनाओं में किया जाता है। हालांकि, कई देशों में इसे वैध मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं मिली है।
“क्रिप्टोकरेंसी की सबसे बड़ी ताकत इसका स्वतंत्र और पारदर्शी सिस्टम है।”
विशेषताएं | डिजिटल करेंसी | क्रिप्टोकरेंसी |
---|---|---|
नियंत्रण | सेंट्रल बैंक द्वारा | विकेंद्रीकृत (Decentralized) |
वैधता | पूरी तरह वैध | कई देशों में अवैध/अनियमित |
लेन-देन शुल्क | कम | कभी-कभी अधिक |
पारदर्शिता | सीमित | उच्च (ब्लॉकचेन आधारित) |
स्थिरता | अधिक | अस्थिर (प्राइस में उतार-चढ़ाव) |
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जहाँ डिजिटल करेंसी सरकारी नियंत्रण में होने के कारण सुरक्षित और स्थिर मानी जाती है, वहीं क्रिप्टोकरेंसी जोखिम और स्वतंत्रता दोनों का प्रतीक है। निवेश या उपयोग से पहले इन दोनों के बीच के अंतर को समझना बेहद ज़रूरी है।